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जबलपुर।मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने निरस्त किया बिना अधिकार जारी कलेक्टर का आदेश।
जबलपुर। हाई कोर्ट ने सिंगरौली कलेक्टर के उस आदेश को अनुचित पाकर निरस्त कर दिया, जिसके जरिए एक किसान को आवंटित पट्टा बिना अधिकार निरस्त कर दिया था। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि कलेक्टर ने तहसीलदार के आदेश को निरस्त कर गलती की है। तहसीलदार द्वारा याचिकाकर्ता को पट्टा आवंटित करने और उसके बाद राजस्व रिकार्ड में नामांतरण करने की प्रक्रिया में कोई त्रुटि नहीं की है। भूमिहीन को आवंटित पट्टे को तब निरस्त नहीं किया जा सकता जब पट्टाधारी ने उसका भूस्वामित्व अपने नाम करा लिया हो। यह दी गई दलील याचिकाकर्ता सिंगरौली के कैलाश तेली की ओर से अधिवक्ता अग्निवेश दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता किसान को विस्थापन पट्टा आवंटित किया गया था। सरई तहसील के अंतर्गत डोंगरी ग्राम में सुलियारी कंपनी को कोल माइन्स आवंटित की गई इसमें याचिकाकर्ता की जमीन भी शामिल थी। कंपनी ने कलेक्टर के समक्ष आवेदन देकर उक्त पट्टा को निरस्त किया जाए। कलेक्टर ने स्वत: संज्ञान लेकर पट्टा निरस्त कर दिया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रकरण वापल कलेक्टर को भेज दिया। कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर लीज डीड का परीक्षण करें और यदि कोई क्लााज है तो आवंटन निरस्त करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पट्टा निरस्त करने का कोई क्लाज नहीं है तो याचिकाकर्ता उस कंपनी से उचित मुआवजा पाने का अधिकारी है।
