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चुनाव से तीन महीने पहले BJP ने MP और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए जारी की उम्मीदवारों की पहली लिस्ट, जानें क्यों?

 इस साल नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। भाजपा ने मध्य प्रदेश के लिए 39 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, जबकि छत्तीसगढ़ के लिए पांच महिलाओं समेत 21 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। ऐसा पहली बार है, जब भाजपा ने तीन महीने पहले अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ भाजपा ने सांसद विजय बघेल को मैदान में उतारा है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने मध्य प्रदेश में जबलपुर पूर्व से अंचल सोनकर, झाबुआ से भानू भूरिया और छतरपुर से ललिता यादव को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ की कोरबा विधानसभा सीट से लखनलाल देवांगन और पाटन से सांसद विजय बघेल को उम्मीदवार बनाया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा में पाटन सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।

बताते चलें कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में सरकार में है। ऐसे में उसके सामने सत्ता बचाने की बड़ी चुनौती है। वहीं, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा सत्ता में वापसी के रास्ते तलाश रही है।

इस बार जल्दी उम्मीदवारों की घोषणा क्यों?
पिछले दो विधासनभा चुनाव (कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश) से सबक लेकर भारतीय जनता पार्टी फूंक-फूंककर कदम रख रही है। पिछले दो विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। भारतीय जनता पार्टी इस बार ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे उसे विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। भाजपा बागी नेताओं की नाराजगी कम करने और बागियों को मनाने और उसका प्रभाव करने के लिए जल्दी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। इससे उम्मीदवारों को चुनावी तैयारियां करने का पूरा समय मिल सकेगा।

कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश की हार से लिया सबक
कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपने की नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ा था। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा का कई सीटों पर हार का अंतर बेहद कम था। भाजपा की थिंक टैंक ने बताया कि बागी नेताओं के खड़े होने से हार का सामना करना पड़ा है। कर्नाटक में सरकार के खिलाफ माहौल होने के बाद भी भाजपा अपने वोट प्रतिशत को बरकरार रख पाई थी लेकिन हार को नहीं टाल सकी। कर्नाटक से भी बगावत की खबरें सामने आईं थीं।

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