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मध्यप्रदेश

दोगुनी हुई ताकत, नक्सलियों से लोहा लेने जिले को पहली बार मिले कोबरा कमांडो

बालाघाट    एक साल में छह हार्ड कोर नक्सलियों को ढेर करने के बाद बालाघाट में हॉकफोर्स, पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों के हौसले बुलंद है।नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में अब कोबरा बटालियन भी शामिल हो गया। जिले में पहली बार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कोबरा बटालियन को तैनात किया गया है। कोबरा जांबाज के आने से अब बालाघाट में नक्सलियों को नाकाम करने की कोशिशें और भी ज्यादा ताकतवर होंगी। जानकारी के अनुसार, गृह विभाग द्वारा बालाघाट जिले को कोबरा बटालियन की एक कंपनी मुहैया कराई गई है। इस कंपनी में तीन टीम हैं और हर एक टीम में 30 से 35 कोबरा कमांडो हैं। वर्तमान में दो टीम को जिले के सीमावर्ती ग्राम सीतापाला और बंधनखेराे जैसे अति संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है, जहां वे सीआरपीएफ के साथ सघन सर्चिंग कर रहे हैं। सीतापाला छग के खैरागढ़ जिले से लगा है जबकि बंधनखेरो कबीरधाम जिले से जुड़ा है।

नक्सल क्षेत्रों की जानकारी देकर किया रवाना

जिले में वर्ष 1992 से जारी नक्सल उन्मूलन के तहत ये पहला मौका है, जब नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम करने कोबरा बटालियन को भी जोड़ा गया है। इससे जवानोंं की ताकत में और इजाफा होगा। पुलिस जानाकारी के अनुसार, दिसंबर 2022 में कोबरा बटालियन के करीब 100 जवान बालाघाट आए थे, जिन्हें लांजी, किरनापुर, बिरसा, बैहर, कान्हा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की जानकारी दी गई। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मार्गदर्शन में जवानों को नक्सलियों की पहचान, संवेदनशील इलाकों, ग्रामीण परिवेश सहित अन्य जानकारी उपलब्ध कराई गई है।बता दें कि वर्ष 2022 पुलिस के लिहाज से सफलताओं से भरा रहा। एक के बाद एक हार्ड कोर नक्सलियोंं के मारे जाने से नक्सली फिलहाल बैकफुट पर हैं, लेकिन बालाघाट में नक्सलियों की सक्रियता जरूर पुलिस के लिए चिंता का कारण है

पश्चिम बंगाल में है मुख्यालय

दरअसल, कमांडो बटालियन फार रिजाल्यूट एक्शन का शार्टफार्म ‘कोबरा’ है। इस फोर्स के जवानों को बेहद कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। देश के रेड कारिडर यानी नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में इस फोर्स के जवानों को तैनात किया जाता है।कोबरा कमांडो, सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स यानी सीआरपीएफ की टास्क फोर्स है,जिसे पहली बार बालाघाट में तैनात किया गया है।यह फोर्स घने जंगलों में रहकर नक्सलियों से लोहा लेती है। कोबरा बटालियन का मुख्यालय पश्चिम बंगाल में है।साल 2009 में कोबरा कमांडो का गठन किया गया था।देश की आठ स्‍पेशलाइज फोर्सेज में से एक कोबरा कमांडो को नक्‍सली इलाकों में इनका सफाया करने के लिए ही इसका गठन हुआ था।

टिमकीटोला चौकी में दूर होगी बल की कमी

जिले को कोबरा बटालियन की एक कंपनी मिलने से लांजी के बहेला थाना अंतर्गत आदिवासी गांव टिकमीटोला में पांच साल पहले बनी चौकी में जल्द बल की कमी दूर होगी। पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ ने बताया कि आगामी एक सप्ताह में टिमकीटोला चौकी में बल तैनात किया जाएगा। हालांकि, इस चौकी में सीआरपीएफ के जवान तैनात किए जाएंगे या कोबरा बटालियन के, ये अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। गौरतलब है कि टिमकीटोला घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, जहां वर्ष 2017-18 में पुलिस विभाग को चौकी हैंडओवर हुई थी, लेकिन बल की कमी के कारण यह अब भी वीरान है।

इनका कहना

नक्सलियों की सक्रियता और गतिविधियों के लिहाज से मंडला और डिंडोरी की तुलना में बालाघाट ज्यादा संवेदनशील है। दिसंबर 2022 में बालाघाट को पहली बार कोबरा बटालियन की एक कंपनी मिली है। इसके जवानों को क्षेत्र के बारे में आवश्यक जानकारी देकर कुछ दिन पूर्व ही संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है। कोबरा बटालियन के आने से नक्सल उन्मूलन में मदद मिलेगी और नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में पुलिस की ताकत भी बढ़ेगी।

समीर सौरभ, पुलिस अधीक्षक, बालाघाट

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