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सहरिया समाज पंचायत में गूंजा पोषण और पेसा व बनाधिकार कानून आदिवासी अस्मिता और अधिकार के लिए पेसा कानून -डा. रन सिंह परमार।
( रिपोर्ट -दिनेश सिकरवार) लहरौनी, कराहल श्योपुर। पेसा कानून का उपयोग करके आदिवासी समुदाय को अपनी खोइ हुई अस्मिता और अधिकार को प्राप्त करने की जरूरत है। उक्त उद्गार एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रनसिंह परमार ने सहरिया समाज पंचायत लहरौनी में कही। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेष सरकार के द्वारा लागू की गयी पेसा नियम के अंतर्गत आदिवासी क्षेत्रों के गांवो को बहुत सारे अधिकार मिले है जिनका उपयोग करना चाहिए। उन्होने कहा कि जल, जंगल और जमीन के प्रबंधन और अधिकार को लेकर उसके नियमों को लागू करने की आवष्यक्ता है जिससे कि वंचित समुदाय अपनी खोई हुई अस्मिता और अधिकार को वापस पा सके। उन्होने लहरौनी में भूमि अधिकार के संघर्षो को याद दिलाते हुए कहा कि यहंा गैर आदिवासियों ने षडयंत्रपूर्वक आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों के कब्जे में देने का काम किया जिसका प्रतिरोध संगठन के द्वारा किया गया था और परिणामस्वरूप 1400 बीघा जमीन आदिवासियों को वापस मिली थी। अब जरूरत है कि अपनी-अपनी जमीनों बचाये रखा जाये और बाहरी व्यक्तियों से ग्राम सभा के आदिवासियों की जमीन को मुक्त कराने की कार्यवाही किया जाये। महात्मा गांधी सेवा आश्रम के पोषण परियोजना के समन्वयक श्री अनिल गुप्ता ने पोषण अभियान और कुपोषण के चक्र के बारे में विस्तारपूर्वक समझाइस दी। परियोजना के नीरज श्रीवास्तव में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए 10 आहार समूहों के बारे मे बताया। एकता परिषद रामदत्त सिंह तोमर ने सतत खेती किसानी को अपनाने की बात कही। महात्मा गांधी सेवा आश्रम के प्रबंधक श्री जयसिंह जादौन ने आदिवासियों से सामुदायिक एकजुटता बनाये रखने की अपील की। आश्रम के उपाध्यक्ष श्री कैलाष पराषर ने आदिवासी समुदाय को शराब और गुटखा खाने की मनाही के लिए नसीहत दी। पंचायत में 17 गावों से लगभग एक सैकड़ा आदिवासी महिला पुरूषो ने भाग लिया जिसमें सहरिया समाज पंचायत से जुड़े लखू सरंपच, लहरौनी, रामजी सिलपुरी, टुण्डाराम भोंटूपुरा, बलराम बरंगवा, दषरथ सिरसनवाडी इत्यादि ने वनाधिकार, भूमि अधिकार, पोषण और भोजन सुरक्षा से जुड़ी अपनी समस्याओं को रखा। समाज पंचायत का संचालन लखू सरंपच और दौलतराम ने किया। इस सहरिया समाज पंचायत में पंचायत में गोठरा, बरेठा, बरगनवा, लहरों, पर्तवाड, सिलपुरी, आमेठ, सरारी, दुबाड़ी, सेसईपूरा, भोंटूपुरा, बंदरहार, दुबड़ी, गढला, सिरसनवाड़ी इत्यादि गांव से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
