पंचायत मंत्री के आश्वासन के बाद लिया निर्णय; दो दिन की यात्रा की

गुना: यात्रा में शामिल दिव्यांग।राघोगढ़ से गुना तक निकाली जा रही दिव्यांग स्वाभिमान यात्रा बुधवार को स्थगित कर दी गयी। पंचायत मंत्री से मुलाकात के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया। तीन महीने के अंदर उनकी समस्याओं के निराकरण का आश्वासन मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया है। इससे पहले मंगलवार को कलेक्टर भी उनसे मिले थे, लेकिन उन्होंने यात्रा स्थगित करने से इंकार कर दिया था।बता दें कि जिले के दिव्यांगों ने 7 नवंबर से 17 नवंबर तक दिव्यांग स्वाभिमान यात्रा का निर्णय लिया था। 30 किलोमीटर की यह यात्रा 10 दिन तक चलनी थी। दिव्यांग रोजाना 3 किमी चल रहे थे। सोमवार को यात्रा राघोगढ़ से शुरू हुई। दूसरे दिन यात्रा में कलेक्टर फ्रैंक नोबल ए उनसे मिलने पहुंचे। कलेक्टर ने कहा कि चूंकि उनकी मांगें शासन स्तर की हैं, इसलिए इनका समाधान वहीं से हो पायेगा। कलेक्टर ने उनसे ज्ञापन सौंपकर यात्रा स्थगित करने की मांग की थी, लेकिन उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन देने से इंकार कर दिया था।दिव्यांगों से मिलने पहुंचे कलेक्टर।मंत्री से मिलने के बाद यात्रा स्थगितबुधवार को प्रदेश के पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिंसोडिया उनसे मिलने राघोगढ़ पहुंचे। यहां उन्होंने दिव्यांगों से उनकी मांगों के बारे में चर्चा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार तक उनकी मांगों को पहुंचाकर जल्द कोई निर्णय लिया जायेगा। तीन महीने में समस्याओं के निराकरण के आश्वासन के बाद दिव्यांगों ने उनकी यात्रा स्थगित कर दी। दो दिन चलने के कारण दिव्यांगों के हाथ-पैरों में छाले पड़ गए थे।दिव्यांगों का कहना था कि हमारी मांगे शासन स्तर की है इसलिए शासन खुद आकर हमसे बात करें। तभी ये यात्रा बीच मके समाप्त होगी। अन्यथा अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 10 दिनों तक चलती रहेगी और गुना पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपकर ही समाप्त होगी। दिव्यांगों का कहना है ये केवल हमारी मांगे ही नही हमारी संवेदना भी है, हमारी पीड़ा भी है। यात्रा में कई दिव्यांग ऐसे है जिनके हाथों में छाले पड़ चुके है तो कुछ दिव्यांगों के घुटनो में खून निकल रहा है। इस स्थिति में दिव्यांग गुना तक पैदल चलकर अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। सरकार जब आखिरी पंक्ति के आखिरी व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचाने का दावा करती है तो दिव्यांग के बाद आखरी पंक्ति का आखरी व्यक्ति कौन हो सकता है?पंचायत मंत्री ने दिव्यांगों से मिलकर उनकी समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया।यह थीं मांगें-दिव्यांगों का रिजर्वेशन हॉरिजोंटल से वर्टिकल किया जाए।-आउट सोर्स भर्ती में दिव्यांगों को प्राथमिकता दी जाए।यदि दोनों दिव्यांग है तो 2 लाख और यदि 1 दिव्यांग है तो 5 लाख रुपये दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन राशि दी जाए।-पेंशन को 5 हजार रुपये प्रति माह किया जाए।-पंचायत, विधानसभा, संसद सभी पटलो पर दिव्यांगों को अनिवार्य रूप से प्रतिनिधित्व दिया जाए।-सामाजिक न्याय निशक्तजन कल्याण मंत्रालय से निशक्तजन कल्याण मंत्रालय को अलग किया जाए।-सभी भर्तियों में बैकलॉग के पद दिए जाएं।-शिक्षा के क्षेत्र में निशुल्क उच्च शिक्षा के अवसर और फ्री छात्रवास का प्रावधान हों।-प्रत्येक जिले में दिव्यांग सहायता केंद्र की स्थापना हो, जो उन्हे दिव्यांग योजनाओं को समझाकर उनका समुचित क्रियान्वयन कर सके।-दिव्यांगों के लिए आयुक्त एवं मुख्य आयुक्त के पद पर दिव्यांग व्यक्ति की ही नियुक्ति की जाए।