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मध्यप्रदेश

बालाघाट के मतदान कर्मियों व जिला निर्वाचन अधिकारी पर दर्ज हो आपराधिक प्रकरण

बालाघाट। बालाघाट में सोमवार को सामने आए डाक मतपत्र के प्रदेश स्तरीय मामले में जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर एक के बाद एक सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस लगातार भाजपा और जिला कलेक्टर पर हमला बोल रही है। अब निर्दलीय प्रत्याशी भी अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। बुधवार को बालाघाट विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी विशाल बिसेन ने प्रेस वार्ता में दो दिन के भीतर पहले तहसीलदार और फिर बालाघाट एसडीएम को निलंबित करना, यह स्पष्ट करता है कि चुनाव प्रक्रिया में धांधली व गड़बड़ी हुई है।

सार्टिंग से पहले ही डाक मतपत्रों को बदलने का आरोप

बिसेन ने सार्टिंग से पहले ही डाक मतपत्रों को साजिश के तहत बदलने का भी गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि डाक मतपत्रों की सार्टिंग के कार्य में जो कर्मचारी स्ट्रांग रूम में थे, उनके खिलाफ तथा जिला निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए, क्योंकि ये सोची-समझी साजिश के तहत किया गया कृत्य है।

आयोग के नियमों के तहत कार्रवाई करने की मांग करेंगे

हाल ही में मप्र सहित चार राज्यों में निर्वाचन की प्रक्रिया हुई है, लेकिन इन प्रदेशों के किसी भी जिले में डाक मतपत्रों के सरलीकरण का कार्य बालाघाट के अलावा कहीं नहीं किया गया है। इसे लेकर वह भारत निर्वाचन आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग, मप्र के डीजीपी और पुलिस अधीक्षक बालाघाट को जिम्मेदार कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ आयोग के नियमों के तहत कार्रवाई करने की मांग करेंगे।

सार्टिंग कार्य की मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई

विशाल बिसेन ने कहा कि 27 नवंबर को दोपहर डेढ़ बजे डाक मतपत्रों की सार्टिंग का जो कार्य जा रहा था, वह नियमानुसार तीन दिसंबर की सुबह सात बजे के बाद करना था। क्योंकि तीन दिसंबर को मतगणना के दिन सुबह तक डाक मतपत्र जमा किए जाते हैं। नियम के विरुद्ध जाकर 27 नवंबर को यह कार्य किया गया, जिसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई। जिला प्रशासन का कहना है कि 15 नवंबर को पत्र के माध्यम से सभी अभिकर्ताओं को सार्टिंग की जानकारी दी गई थी, लेकिन 15 नवंबर को चुनाव प्रचार का अंतिम दिन था और 17 नवंबर को मतदान हुआ था।

प्रत्याशियों को सूचित किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया

15 से 17 नवंबर तक प्रत्याशी से लेकर उनके समर्थक अभिकर्ता बेहद व्यस्त थे। ऐसे में जिला निर्वाचन अधिकारी की जिम्मेदारी थी कि सार्टिंग को लेकर दोबारा प्रत्याशियों को सूचित किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया। इतना ही नहीं, सार्टिंग की सूचना प्रत्याशियों को पत्राचार, फोन और वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से दी जाती है, लेकिन 15 नवंबर के बाद दोबारा इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और सिर्फ कांग्रेस व भाजपा के अभिकर्ताओं की मौजूदगी में सार्टिंग की गई।

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