ब्रेकिंग
उज्जैन स्लीपर बस पलटी गर्भवती महिला सहित 9 घायल केंद्र सरकार कराऐगी जाति जनगणना PCC चीफ ने कहा, DGP का आदेश खाकी वर्दी का अपमान सांसद-विधायक को सैल्यूट करेगें पुलिस कर्मी, ये लोकतं... सीएम बोले- पाकिस्तानी नागरिकों को एमपी से जल्द बाहर करें: पुलिस अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्दे... मंदसौर में तेज़ रफ़्तार कार कुऐ में गिरी 6 लोगों की मौत केंद्र सरकार का एक और सख्त फैसला, पाकिस्तानी हिंदुओं की चारधाम यात्रा पर रोक कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अमित शाह को बताया शिव अवतार, बयान पर मचा बवाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-साम... केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: पाकिस्तानी हिन्दु , सिखो का वीजा रद्द नहीं होगा नवविवाहिता के साथ रेप कर हत्या, कमरे में निवस्त्र मिली लाश, जेठ पर आरोप कमरे में निवस्त्र मिली लाश,... पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा पर खतरा मंडराया, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल
धार्मिक

महिलाओं के हाथों से बने गोबर के दीयों से जगमग होगी दीपावली

दीपावली पर्व को लेकर इस बार लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसे में इस बार बड़े धूमधाम से पर्व मनने वाला है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है और बाजार सजना शुरू हो गया है। इसी में खास है कि ईको फ्रेंडली गोबर के दीये। इन्हें इस बार रंगबिरंगा बनाया गया है और यह बाजार में भी बिकने के लिए आ चुका है।

इस साल गोबर के दीये बनाने के लिए कई महिला स्व सहायता समूह सामने आए हैं। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित गोठानों में भी इनका निर्माण किया जा रहा है। कुम्हार भी मिट्टी के साथ ही गोबर के दिए बना रहे हैं। साफ है कि दीपावली के समय पर गोबर के दीयों की मांग बढ़ी है और घर-घर इसे जलाना भी लोग पसंद कर रहे हैं। इसी वजह से इस बार बड़े पैमाने पर बाजार में मिट्टी के दीये आना शुरू हो गए हैं और इनकी बिक्री भी शुरू हो गई है। लोग अभी से इन गोबर के दीयों पर रुचि ले रहे हैं। इसकी वजह से जमकर खरीदारी हो रही है।

पर्यावरण के लिए रहता है बेहतर

गोबर के दीये इस बार दो प्रकार के बनाए गए हैं। इसमें पहला प्रकार गोबर का सामान्य दीया है जो पूरी तरह जलकर खत्म हो जाएगा, इसकी खास बात यह है कि यह पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाता है बल्कि इसका धुंआ पर्यावरण में फैले हानिकारक वायरस को मारता है। वहीं दूसरी प्रकार का गोबर का दीया रंगिबरंगे बनाया गया है। इसका बार-बार उपयोग किया जा सकता है। इस दीये को रोशन करने से भी पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है। इसलिए ही इसे इको फ्रेंडली दीया भी कहा जाता है।

ऐसे बनते हैं गोबर के दीये

सबसे पहले गोबर के कच्चे माल को बारीक़ पीसकर तैयार किया जाता है। इसके बाद तैयार मिश्रण से उत्पाद बनाने के लिए दीये के विभिन्न प्रकार के सांचे का उपयोग किया जाता है। आकार में ढाले जाने के बाद प्रोडक्ट को सूखने के लिए खुले वातावरण में रख दिया जाता है। यह 24 से 48 घंटे में पूरी तरह से सूखकर तैयार हो जाता है।

तीन रुपये से शुरू हो रहा दाम

गोबर से निर्मित दीये का मूल्य अलग-अलग निर्धारित किया गया है। जहां गोबर के सादे दिए तीन से पांच रुपये तक में बिक रहे हैं, इनके रंगबिरंगे दीये के छोटे-बड़े आकार के हिसाब से 10 रुपये व उससे ज्यादा दाम पर बिक रहे हैं। उन्हें पैकेट बनाकर और दर्जन के हिसाब से बेचा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक विभिन्न महिला स्व सहायता समूह और कुम्हार मिलाकर शहर में दो लाख से ज्यादा गोबर के दीये बेचने का लक्ष्य रखा गया है।

Related Articles

Back to top button