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देवउठनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, यहां पढ़िए नियम और शुभ मुहूर्त

इंदौर।  हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। इस शुभ दिन का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह वही समय है जब सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु चार महीने के बाद विश्राम करके फिर से सृष्टि का संचालन शुरू करते हैं। इसी दिन से सभी शुभ कार्य भी शुरू हो जाते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को मनाई जाने वाली है। इस दिन भगवान विष्णु 4 माह की योग निद्रा से बाहर आते हैं। उसके बाद विष्णु जी फिर से सृष्टि के संचालन का दायित्व भगवान शिव से प्राप्त करते हैं।

देवउठनी एकादशी का समापन – 23 नवंबर – रात्रि 09:01 बजे तक।

पारण का समय- 24 नवंबर सुबह 06:00 बजे से सुबह 08:13 बजे तक।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर अपने घर और मंदिर को साफ करें। साथ ही किसी चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और उसकी विधिवत पूजा करें। जगत के पालनहार भगवान के सामने दीपक जलाएं, पीले चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक लगाएं और उन्हें विशेष प्रसाद भी चढ़ाएं। व्रत कथा पढ़ें और आरती के साथ पूजा का समापन करें। अगले दिन सात्विक भोजन से अपना व्रत खोलें।

॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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