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मध्यप्रदेश

सीधी पेशाब कांड से चर्चा में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. राजेश मिश्रा नाराज, दिया इस्तीफा

सीधी । देश भर में पेशाब कांड के बाद भाजपा की सीधी विधानसभा चर्चा में रही। इस घटना के बाद से ही भाजपा में विधानसभा टिकट के लिए तमाम दावेदार दावेदारी कर रहे थे कुछ तो पूरी तरह से मान लिया था कि टिकट पक्की है। सोमवार की रात आइ सूची ने भाजपा में ही खलबली मचा दी है। ऐसे में भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रदेश कार्य समिति के सदस्य डॉ. राजेश मिश्रा ने इस्तीफा दे दिया है। जिनका पत्र इंटरनेट मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है।

भाजपा की सूची से खलबली, इंटरनेट मीडिया में तेजी से वायरल

फेसबुक आइडी में भी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए लिखा है कि वह भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा में परिवारवाद का भी आरोप लगाया है उन्होंने लिखा कि दाई और नाती को टिकट दिया गया है। उनका इशारा सांसद रीती पाठक सीधी प्रत्याशी और सिहावल प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक की ओर रहा है। टिकट वितरण के बाद आमजन में तेजी से चर्चा शुरू हो गई है।

सीधी विधानसभा क्षेत्र से रीति पाठक प्रत्‍याशी

सीधी विधानसभा क्षेत्र से रीति पाठक की डगर आसान नहीं है। पाठक को बाहरी प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में सीधी विधानसभा अब भाजपा के लिए आसान सीट नहीं रह गई है। निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे तो भाजपा के लिए संकट खड़ा हो सकता है। दरअसल यह विधानसभा क्षेत्र जातीय समीकरण के लिए जाना जाता है। यह एक व्यक्ति विशेष जाति वर्ग से आमना सामना प्रत्याशियों का होता है।

विधानसभा सीट सीधी 77

प्रत्याशी – रीति पाठक

उम्र 46 वर्ष

शिक्षा एलएलबी

राजनीतिक कैरियर

एक पंचवर्षीय जिला पंचायत अध्यक्ष 2014 और 2019 में लगातार दो बार सीधी संसदीय क्षेत्र की संसद रही।

इसलिए मिला टिकट- पाठक विवादित चेहरा नहीं है वह किसी गुट में शामिल नहीं रहे। संगठन में अच्छी पकड़ मानी जाती है।

विधानसभा सीट 78 सिहावल

प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक

उम्र 65 वर्ष

शिक्षा स्नातक

2008 में लगातार सात बार विधायक रहे पूर्व मंत्री इंद्रजीत कुमार को विश्वामित्र पाठक चुनाव हराकर पहली बार विधायक बने थे। 2013 में भाजपा ने उन्हें उन पर दाव लगाया तो वह करीब 32000 से हार गए थे।

इसलिए मिला टिकट

वर्ष 2018 में भाजपा विश्वामित्र की जगह शिव बहादुर सिंह को टिकट दिया था। नाराज होकर विश्वामित्र पाठक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान पर उतरे और 27000 मत मिले थे तो वहीं भाजपा प्रत्याशी को 32000 मत मिले थे।

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