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दिल्ली NCR

अहल्या वृतांत व सीता स्वयंवर का हुआ तो कही सुनाई रावण जन्म की कहानी

नोएडा: गुरु विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मणशहर में चल श्री सानातन धर्म मंदिर की ओर से नोएडा स्टेडियम में चल रही रामलीला मंचन में आज धनुश यज्ञ, सीता स्वयंवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद के दृश्य का मंचन किया गया। मंचन की शुरुआत सूर्य प्रणाम, राम लक्ष्मण विश्वामित्र का साधना करना भाट का आना, पत्रिका देना, पत्रिका पढ़ने पर स्वयंवर की बात बताना, राम द्वारा गुरुदेव से स्वयंवर में जाने को पूछना, तीनों का आश्रम से निकलकर जनकपुर की ओर प्रस्थान करने से शुरु होती है।जनकपुरी में प्रवेश में करते राम लक्ष्मणअगले दृश्य में राम लक्ष्मण विश्वामित्र का अहल्या आश्रम को देखना और गुरुदेव से वृतांत पूछना। विश्वामित्र द्वारा अहल्या का वृतांत बताना और चरण कमल की धुरी से मुक्ति प्रदान करना का मंचन किया गया। पुष्प वाटिका में राम लक्ष्मण का जाना। उनमें से एक सखी अलग फुलबारी देखने निकल जाती है इसी समय उसकी नजर राम लक्ष्मण पर पड़ जाती है जोकि पेड़ के पीछे छिपे है वो लड़की सखियों के पास जाकर उनके बारे में बताती है ।जनक से मिलते विश्वामित्र व राम और लक्ष्मणभाट आते सीता स्वयंवर का माहौल सब प्रसन्न मुद्रा में है। फिर भाट द्वारा जनक को बुलाया जाता है और जनक के आदेश पर सीता जी को बुलवाया जाता है। उसके बाद रावण का प्रवेश होता है। वो अपने संवाद और हड़कप करके चला जाता है । तभी स्वयंवर में राम लक्ष्मण विश्वामित्र का प्रवेश होता है। सभी अपना स्थान ग्रहण करते है जनक जी भाट को अपनी प्रतिज्ञा सुनने का आदेश दिया जाता है।एक एक करके राजागण धनुष उठाने का प्रयास करते है परंतु सभी विफल हो जातें है। अंत में जनक जी उदास अवस्था में पृथ्वी वीरों से खाली जैसे कटु वचनों को सुन कर लक्ष्मण जी को क्रोध आ जाता है । विश्वामित्र के आदेश पर राम जी धनुष तोड़ने को उठाते है पूरे म्यूजिक के अनुसार वो धनुष का खण्डन कर देते है। जयमाला लेकर सीता संग सखी आगे बढ़ते है।दरबार की ओर जाती सीतापरशुराम जी आ जाते और फिर लक्ष्मण परशुराम पूर्ण संवाद होता है अंत में राम जी के विष्णु रूप को परशुराम जी पहचान लेते है और वहा से राम को धनुष देकर निकल जाते है।सीता- राम स्वयंवर का दृश्यपहली बार रामलीला में सुनाई गई रावण जन्म की लीलासेक्टर 46 के रामलीला ग्राउंड में चल रही श्रीराम लखन धार्मिक लीला में तीसरे दिन पंडित कृष्णा स्वामी ने तीसरे दिन की रामलीला में जहां विश्वामित्र द्वारा रावण की जन्म की कथा विस्तार से सुनाई और अहिल्या उधार एवं सीता जन्म की कथा सुना कर लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया । वही पुष्प वाटिका में जनकपुरी देखने पहुंचे राम-लक्ष्मण शहर को देखकर भावुक हो उठे ,उनका कहना था कि इतना सुंदर शहर है। तभी उनकी जनक बाजार में सीता से पहला मिलन हुआ।

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