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बाढ़ से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए 50 से ज्यादा मकान शुद्ध पेयजल के लिए भटक रहे ग्रामीण

बुरहानपुर  गांव की निचली बस्तियों की सड़कों पर डेढ़ से 2 फीट जमी कीचड़ की परत, बाढ़ से पूरी तरह नष्ट हुए कच्चे-पक्के मकान, भोजन और शुद्ध पेयजल के लिए भटकते ग्रामीण, तबाही का मंजर बुरहानपुर जिले की फोकटपुरा बस्ती का है। इस गांव में शनिवार रात उफान पर आई मोहना नदी का पानी घुस गया था।

गांव के लोगों ने आपबीती बताते हुए नई दुनिया टीम से कहा कि जलजला ऐसा था कि बस खुद की और बच्चों की जान ही बचा सके। समय रहते अगर घर छोड़कर दूसरे इलाके में नहीं गए होते तो बाढ़ में जिंदगी खो देना तय था। करीब 7 हजार की आबादी वाले इस गांव के 50 से ज्यादा नदी किनारे के कच्चे पक्के मकान पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। डेढ़ सौ से ज्यादा मकानों में पानी घुसने के कारण गृहस्थी का सारा सामान बर्बाद हो चुका है।

जिला प्रशासन के निर्देश पर पंचायत ने ग्रामीणों के भोजन और रहने की व्यवस्था की है, लेकिन रविवार सुबह से यह ग्रामीण शुद्ध पेयजल के लिए भटकते मिले। प्रशासन ने कुछ टैंकर जरूर लगाए थे, लेकिन ये आबादी के हिसाब से बहुत कम थे। जब भी कोई टैंकर पहुंचता था तो ग्रामीणों की लंबी कतार लग जाती थी। नई दुनिया टीम ने रविवार सुबह इस बस्ती की ग्राउंड रिपोर्ट की, जिसमें पता चला कि प्रशासनिक दावों के विपरीत गांव में वैसी राहत और सहायता अभी नहीं पहुंच पाई है जैसे मिलने चाहिए थी।

महिलाओं को बांटे गए कपड़े

सुबह 9:00 बजे के आसपास एसडीएम पल्लवी पुराणिक और सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के प्रतिनिधि गजेंद्र पाटिल गांव पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया है कि जल्द ही सर्वे कर उन्हें राहत राशि दिलाई जाएगी। तात्कालिक सहायता के रूप में कलेक्टर भव्या मित्तल के निर्देश पर प्रभावित परिवारों की महिलाओं को कपड़े उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

50 साल में पहली बार गांव में घुसा पानी

ग्रामीणों का आरोप है कि 5 साल पहले गांव के पास मोहना नदी में एक डैम बनाया गया था, जो खराब गुणवत्ता के कारण फूट गया है। जिसके चलते 50 साल में पहली बार मोहना नदी ने अपनी सीमाएं लांग कर गांव में प्रवेश किया है।

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