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जीवन के पतन का मूल कारण है अहंकार : भंते ज्ञानोदय

भोपाल। दि बुद्धस्टि सोसाइटी आफ इंडिया द्वारा तुलसी नगर स्थित करुणा बुद्ध विहार में भंते ज्ञानोदय का वर्षावास चल रहा है। इसी के चलते रविवार को भंते ज्ञानोदय की ओर से बुद्ध वंदना में उपस्थित उपासक व उपासिकाओं को धम्मदेशना देते हुए मानव जीवन में दुखों एवं उसके पतन के कारणों पर ध्यान केंद्रीय करते हुए कहा कि अहंकार ही मानव जीवन के पतन का मूल कारण है।

इस पर विस्तार से बताते हुए कहां कि इंसान के जीवन में जब भी अहंकार का प्रवेश हो जाता है, तो उसकी सोचने समझने की क्षमता क्षीण हो जाती है। उसे जो चाहिये या करना चाहता है, वह उसे ही सही मानने लगता है, भले ही वह अहितकारी क्यों न हो। ऐसे में जीवन में त्रुटि पूर्ण निर्णय लेने लगता है और अन्य किसी की उचित सलाह भी उसे नकारात्मक दिखाई देने लगती है। यही से उसके पतन के दिन शुरू हो जाते हैं। लोगों के प्रति उसका आचरण भी सहयोगात्मक नहीं होने से लोग उनसे दूरियां बनाने लगते हैं। एक समय ऐसा आता है, जब वह अपने आपको अकेला सा महसूस करता है, लेकिन तब तक समय निकल गया होता है, इसलिए हर व्यक्ति ने अपने भीतर अहंकार को पनपने नहीं देना चाहिए। मानव जीवन अमूल्य है, हमें सदैव मन को प्रसन्न रखकर सबसे मिलजुलकर जीवन जीना चाहिए। इससे हमारा जीवन निरोगी रहने के साथ साथ हमारे जीवन में वृद्धि भी होती है। धम्मदेशना श्रवण करने के लिए दि बुद्धस्टि सोसाइटी आफ इंडिया के जिला अध्यक्ष मनोज माणिक, उपाध्यक्ष एआर आनंद, सचिव संजय पाटिल, जिला आडिटर मनीष रामटेके, एनडी रंगारी, भास्कर प्रधान, अशोक वानखेडे, वासूदेव शेंडे सहित बौद्ध उपासक एवं उपासीकाएं रहे।

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