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एनजीटी के निर्देशों की उड़ा रहे धज्जियां

बिलासपुर। जिले की सात रेत खदानों का आवंटन हो चुका है। लेकिन आजतलक पर्यावरण क्लीरेंस प्रमाण- पत्र खनिज विभाग में जमा नहीं किया गया है। इसलिए रेत उत्खनन की अनुमति नहीं मिल पा रही है। 15 जून से प्रदेशभर के रेट खदानों में उत्खनन का काम बंद कर दिया जाएगा।

ऐसे में पर्यावरण क्लीरेंस के बाद भी स्वीकृत घाटों में रेत की खोदाई 16 अक्टूबर के बाद ही प्रारम्भ है। खदानों के बंद होने से खनिज विभाग को रेत रायल्टी से मिलने वाले करीब 60 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

तीन साल पहले रेत घाट का संचालन ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता था। राज्य सरकार ने इन घाटों को ठेके देने का निर्णय लिया गया। घाट को दो साल का ठेका दिया गया। इसके बाद ठेकेदारों को एक साल का एक्टेशन दिया गया, जो समाप्त हो गया। करीब छह माह पहले सभी रेत घाटों का ठेका समाप्त हो गया।

इसके बाद जिला खनिज विभाग द्वारा रेत घाटों को फिर से ठेके पर देने की प्रक्रिया शुरू की गई। प्रथम चरण में फरवरी माह में रेत घाट लछनपुर, अमलीडीहा, उदईबंद को ठेकेदारों को दिया गया। मई में जिले के अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कोटा ब्लॉक की चार खदानों का संचालन का जिम्मा ग्राम पंचायतों को दिया गया।

इसमें ग्राम छतौना, ग्राम सोढ़ाखुर्द, ग्राम कोनचरा और ग्राम करहीकछार शामिल हैं। ठेका शर्तों के अनुसार ठेका मिलने के बाद ठेकेदार और पंचायतों को पर्यावरण क्लीरेंस प्रमाण-पत्र अनिवार्य रूप से 16 जून खनिज विभाग के पास जमा करना था। इसके बाद ही निर्धारित रकबे में रेत उत्खननव परिवहन की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए ठेकेदार तीन माह से लगे हैं, लेकिन उनके द्वारा पर्यावरण क्लोरेंस जमा नहीं किया जा सका है। इसलिए उन्हें ठेका मिलने के बाद भी रेत उत्खनन की अनुमति नहीं है।

तय नियमो के तहत रेत घाटों के बंद करने का समय मुश्किल से आठ दिन शेष है।

जिले के सभी रेत घाट महीनों से बंद हैं। इसके बाद भी बंद घाटों से बीते चार महीने से रेत की खोदाई और परिवहन हो रहा है। एक्सीवेटर जे जरिये खोदाई कर ट्रैक्टर, हाइवा और ट्रीपर से रेत निकाले जा रहे हैं।

जिला खनिज विभाग को जिले में चलने वाली रेत घाटों से रायल्टी के रूप में साल में तकरीबन एक करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। जिले में खदान तकरीबन पांच माह से बंद है। ऐसे में खनिज विभाग को राजस्व की भारी क्षति हो रही है।

पर्यावरण अनुमति का इंतजार

खनिज विभाग के उप संचालक दिनेश मिश्रा का कहना है किपर्यावरण क्लीरेंस नहीं मिलने से उत्खनन शुरू नहीं हो पा रहा है। रेत खदानों का ठेका होने के बाद भी अभी तक किसी भी ठेकेदार ने पर्यावरण क्लीरेंस जमा नहीं किए हैं। इसलिए रेत उत्खनन की अनुमति नहीं दी गई है। पर्यावरण क्लोरेंस लाने के बाद दो दिनों में अनुबंध कराने के बाद स्वीकृति आदेश जारी कर दिए जाएंगे। उनके द्वारा देरी करने पर खदान सीधे अक्टूबर में खुलेंगे।

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