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जीवन में पचाना सीखो-
धन के पचाने पर व्यक्ति सज्जन बन जाता है, धन के ना पचने पर अहंकार बढ़ जाता है। अहंकार हमारा पतन करा देता है क्षणिक मात्र क्षणभंगुर शरीर मिला आज से कल का पता नहीं हाड़ मांस से बना शरीर कब अंत हो जाऐ पता नहीं इसकी कोई एक्सपायरी डेट नहीं हमारे शरीर से हमारी बाणी से किसी का अहित ना हो जाऐ हमारी बजय से किसी की आंख में आसू नहीं होना चाहिए आंसू हो तो हमारे लिए प्रेम के आंसू हो हर समय उस परम प्रभु परमात्मा का धन्यवाद करना चाहिए यह शरीर अगर किसी के कार्य लग जाऐ वही उत्तम है अच्छे का अच्छाई है बुरे का बुराई में सब नाम ही रह जाता है जीवन में अच्छा भोजन मिल जाए उसको भी पचाना सीखो। भोजन के ना पचने पर बीमारी बढ़ जाती है, भोजन के पच जाने पर नई ऊर्जा आती है। जीवन में यदि मिले सफलता उसको भी पचाना सीखो, सफलता पच जाने से नव पौरुष आ जाता है, सफलता के न पचने पर घमंड बढ़ जाता है जीवन में अपमान मिले तो उसको भी पचाना सीखो, अपमान के ना पचने पर अवसाद बढ़ जाता है, वह अवसाद आगे बढ़कर एक कष्ट बन जाता है। जीवन में यदि धन मिल जाए उसको को पचाना सीखो जीवन में यदि पद मिल जाए उसको भी पचाना सीखो, पद का सदुपयोग करने पर सबके प्यारे बन जाओगे,पद का यदि दुरुपयोग किया तो फिर पछताओगे जीवन में हमेशा नेक नियत से चलना सीखो, जीवन में जो कुछ भी मिल जाए उसको पचाना सीखो
