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मध्यप्रदेश

व्यापारी ने खुद जुटाए बेगुनाही के सबूत तब पुलिस ने माना चूक हुई डीसीपी करेंगे जांच

आनंद दुबे। सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश हो या मानव अधिकार आयोग सिफारिश करे, लेकिन पुलिस का तंत्र बदलने से रहा। सड़क पर घायल व्यक्ति को देखकर मदद करने की सोचने वाले व्यापारी की आपबीती इसका जीता जागता नमूना है। निर्दोष व्यापारी से मारपीट कर लोगों ने उसकी कार में भी तोड़फोड़ कर दी थी। वह थाने में गिड़गिड़ाकर बेगुनाही का सबूत देता रहा, लेकिन पुलिस ने उसके खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद व्यापारी ने खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए खुद सबूत जुटाए तब जाकर पुलिस ने माना की उनसे चूक हुई है। सीसीटीवी के फुटेज देखने के बाद पुलिस कमिश्नर ने मामले की जांच डीसीपी को सौंप दी है।

क्या है मामला

14 मई की रात करीब नौ बजे जितेंद्र रंगवानी कलेक्टर कार्यालय के सामने कारीडोर में सड़क हादसा देखकर रुक गए थे। घायल की मदद करने वह मौके पर पहुंचे, तो घायल के स्वजन ने उनके साथ मारपीट कर दी। इसके बाद भी वे घायल जावेद को अपनी कार से लेकर हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे। भीड़ ने वहां पर उनकी कार में भी तोड़फोड़ कर दी थी। इसके बाद वह भीड़ से बचते हुए किसी तरह आटो से कोहेफिजा थाने पहुंचे। वहां पुलिस को घटना के बारे में बताते हुए उनकी शिकायत लिखने को बोला, तो पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। 15 मई की सुबह पता चला कि पुलिस ने उनकी कार नंबर के आधार पर युवक को टक्कर मारने का केस दर्ज कर लिया है। बुधवार दोपहर को जावेद की मौत हो गई।

दोपहिया वाहन के शोरूम से निकलवाए फुटेज

इंद्रविहार कालोनी, एयरपोर्ट रोड निवासी जितेंद्र रंगवानी ने बताया कि 14 मई की रात कलेक्टर कार्यालय के सामने बीआरटीएस कारीडोर में हादसा हुआ था। अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए वे उसी जगह पर गए। यहां पर एक दोपहिया वाहन का शोरूम है जिसका सीसीटीवी कैमरा बाहर की तरफ लगा हुआ है। इसके बाद उन्होंने वहां से फुटेज निकलवाए। वीडियो में दिख रहा है कि घटना के बाद सबसे पहले हीरो वाहन के शोरूम का गार्ड मौके पर पहुंचा था। घटना के बाद वह कार लेकर घटना स्थल के दूसरी तरफ पहुंचे थे। तब तक काफी भीड़ लग चुकी थी। कार को सड़क किनारे खड़ी करने के बाद वह घायल की मदद करने पहुंचे थे। यह सारे साक्ष्य उन्होंने स्वयं जुटाए हैं। घटना के तीन प्रत्यक्षदर्शी भी उनके पक्ष में गवाही देने को तैयार हैं।

डीसीपी करेंगे मामले की जांच

पुलिस आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्रा ने बताया कि व्यापारी ने सीसीटीवी फुटेज के साथ मामले की शिकायत की है। शिकायत की जांच डीसीपी जोन-तीन को सौंप दी गई है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

आयोग ने पुलिस कमिश्नर से मांगा जवाब

इधर, राज्य मानव अधिकार आयोग ने नवदुनिया में शुक्रवार को प्रमुखता से प्रकाशित खबर पर संज्ञान लिया है। आयोग ने पुलिस कमिश्नर से मामले की जांच कराने के बाद तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही यह भी पूछा है कि घटनास्थल के आसपास सीसीटीवी लगे हों, तो यह भी पता करें कि क्या घटना के बाद क्या उनके फुटेज देखे गए थे?

खारिजी लगाना होगी, न्याय के लिए रिट पिटीशन लगा सकते हैं

वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज तिवारी के अनुसार इस मामले में पुलिस वास्तविक साक्ष्य के साथ अभियोजन अधिकारी का मत लेकर प्रकरण में खारिजी की कार्रवाई कर सकती है। इस मामले में मानसिक रूप से परेशान हुआ व्यापारी न्यायालय में रिट पिटीशन लगाकर क्षतिपूर्ति का दावा कर सकता है।

यह कानून का उल्लंघन है

ट्रैफिक विशेषज्ञ एवं सेवानिवृत्त एएसपी एसएस लल्ली ने बताया कि घायल व्यक्ति के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं। गुड सेमेरिटन एक्ट के तहत दुर्घटना में घायल की मदद करने वाले व्यक्ति से पुलिस किसी तरह की पूछताछ नहीं कर सकती है। उसे नाम-पता बताने और बयान देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। मददगार व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत घायल को उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने के लिए पुलिस द्वारा पांच हजार रुपये का पुरस्कार देने का भी प्रविधान हैं। यदि पुलिस ने सड़क हादसे के मामले में बिना जांच पड़ताल के घायल की मदद के करने वाले व्यापारी के खिलाफ मुकदमा कायम किया है, तो दोषी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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