पीएचडी परीक्षा के लिए करना होगा 2 महीने का इंतजार सीटों की जानकारी आना बाकी

इंदौर। सालभर से पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए इंतजार कर रहे उम्मीदवारों को थोड़ा और रुकना पड़ेगा, क्योंकि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय अभी यह तय नहीं कर पाया है कि वे खुद परीक्षा करवाए या फिर एनटीए के माध्यम से पीएचडी में प्रवेश दिया जाए। वैसे विश्वविद्यालय प्रशासन एनटीए से परीक्षा करवाने पर सहमत है, जबकि परीक्षा लेट होने के पीछे दूसरी बड़ी वजह यह है कि पीएचडी की रिक्त सीटों की जानकारी शैक्षणिक विभाग के पास नहीं आई है।
कई मर्तबा विश्वविद्यालय ने विभागों और पीएचडी गाइड से रिक्त सीटों के बारे में पूछा है। अधिकारियों के मुताबिक परीक्षा को लेकर दो महीने लगेंगे। एनटीए से करवाने पर कार्यपरिषद से मंजूरी मिलना बाकी है। हालांकि अगले महीने विश्वविद्यालय ने बैठक बुलाई है।
बीते साल विश्वविद्यालय ने 44 विषय में डाक्टरल एंट्रेंस टेस्ट (डीईटी) अप्रैल में करवाई थी। रिजल्ट मई में जारी किया था। 1160 सीटों के लिए 6700 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिसमें कुछ सीटें जूनियर रिसर्च फैलोशिप यानी जेआरएफ को सीधे दी गई। इसके चलते 890 सीटों पर उम्मीदवारों को रिसर्च एडवायजरी कमेटी यानी आरएसी के लिए चुना। फिर कोर्स वर्क के लिए चयनित किया। योगा विषय में सीटें नहीं होने के बावजूद परीक्षा करवाई। पीएचडी उम्मीदवारों को आठ महीने इंतजार करना पड़ा। इसी परिस्थिति से बचने के लिए विश्वविद्यालय ने डीईटी नहीं करवाई है।
अधिकारियों का कहना है कि सीटों तय नहीं होने के पहले परीक्षा नहीं करवाएंगे। अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक यूजीसी ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। अब एनटीए से परीक्षा करवाने का प्रस्ताव विश्वविद्यालय के सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय भी एनटीए से करवाने की इच्छा जता रहा है। कार्यपरिषद से मंजूरी लेने के लिए प्रस्ताव अगली बैठक में रखा जाएगा।
शैक्षणिक विभाग के सहायक कुलसचिव अनुराग त्रिवेदी ने कहा कि गाइड से रिक्त सीटों की तीन बार जानकारी मांगी है। अभी 35 प्रतिशत गाइड ने सीटों का ब्यौरा नहीं दिया है। इसके चलते परीक्षा को लेकर विश्वविद्यालय ने कोई निर्णय नहीं लिया है।