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किसान के बेटे राजू भदौरिया ने पेरिस में जीता गोल्ड मेडल गांव में खुशी का माहौल।
भिंड के राजू भदौरिया ने विदेश की धरती पर देश का नाम रोशन किया है। पेरिस में चल रही घुड़सवार प्रतियोगिता में उन्होंने देश का मान बढ़ाया है। भारत देश की ओर से खेल रहे भिंड के राजू ने गोल्ड मेडल जीता लिया है। ये बात की खबर जब राजू के गांव मेहगांव क्षेत्र के हरपाल का पुरा में लगी तो परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। दो दिन से राजू के नाम की चर्चा पूरे गांव में हो रही है। लोग बधाई देने में जुटे हुए है। दरअसल, राजू के माता, पिता गरीब किसान है। खेतीबाड़ी पर ही जीवन निर्वाहन करते है। राजू के मामा भोपाल में घुड़सवारी के प्रतियोगी खिलाड़ी है। राजू आठवीं तक की पढ़ाई गांव में ही की। आठवीं की पढ़ाई के बाद परिवार वालों ने बेटे के भविष्य की फिक्र सताई तो राजू को भोपाल भेज दिया। मामा के घर रहकर पढ़ाई लिखाई करता रहा। मामा के साथ रहकर ही राजू ने घुड़ दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा ले लिया। अपने मामा से प्रशिक्षित होकर राजू मंजे हुए खिलाड़ी की तरह मैदान में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने लगा। अब चंबल का ये सपूत भिंड से निकलकर भोपाल, जयपुर, मुंबई समेत कई बड़े शहरों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका है। अब पेरिस में होने वाली प्रतियोगिता में भी हिस्सा लेकर देश के लिए गोल्ड मेडल जीत चुका है। राजू की सफलता पर उनकी माां कुशमा देवी फूली नहीं समा रही है। मीडिया से बातचीत के दौरान कुशमा देवी का कहना है कि बेटे की जीत पर मुझे बेहद खुशी है। मेरे परिवार का होनहार बेटा है। उसकी सफलता में परिवार के लोग बहुत उम्मीद लगाए बैठे है। अब राजू से हम सभी को उम्मीद है कि अब हमारे परिवार के दिन बदल जाएंगे। राजू के भाई का कहना है कि राजू ने दसवीं की पढ़ाई पोरसा मुरैना से की है। उन्होंने अब तक एकलव्य, एशियन गेम में घुड़ सवारी प्रतियोगिता में जीत हासिल की थी। अब वो गोल्ड मेडल पेरिस की धरती पर जीतकर ला रहे हैं। राजू के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। परिवार का मुख्य काम धंधा खेती किसानी है। राजू के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। पिता सुजान सिंह व भाई मनोज सिंह खेतीबाड़ी करते है। परिवार में दो भाई तीन बहनों के साथ ही माता पिता और दादा है। परिवार का मुख्य रोजगार खेती किसानी है। करीब पंद्रह बीधा जमीन परिवार के पास है।
