मुरैना
मुरैना नेताओं ने मेला की भूमिका पट्टे करालिऐ और जब से गधों का मेला बंद है ,प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ा ऐतिहासिक गधों का मेला
मुरैना के पोरसा मे सैकड़ों सालों से लगता चला आ रहा ऐतिहासिक गधों का मेला प्रशासन की अनदेखी की भेंट चढ़ा ऐतिहासिक गधों का मेला पोरसा में सैकड़ों सालों से पुराने खेरे पर लगता चला रहा था जो प्रशासन की अनदेखी की भेंट चढ़ गया अब गधों का मेला कई सालों से बंद पड़ा है जबकि इस गधों के मेले में प्रजापति समाज एवं धोबी समाज की की बर्षो पुरानी सभी तरह की समस्याओं का समाधान समाज स्थर पर समाज की पंचायत हल करती थी इस मेले में सभी समस्याओं को समाप्त होती थी एवं शादी के रिश्ते इस मेले में तय हुआ करते थे एवं सभी समाज के लोग समाज सुधार की पंचायत करते थे इस गधों के मेले को ग्रहण सन 1985 के आसपास लगा जब पुराने खेरे की मेले बाली जगह को मुख्यमंत्री महोदय ने मेले की जगह का गरीबों को पट्टे दे दीये,,, इसके बाद यह मेला शंकरपुरा की तलैया पर लगना शुरू हुआ जो जगह ना होने से तथा शासन की अनदेखी की भेंट चढ़ गया अब समाज बंधु मेला ना लगने से बेहद दुखी हैं यह मेला 15 दिन तक लगता था इस मेले में प्रतिदिन सैकड़ों की गधौ की बिक्री हुआ करती थी जनपद पंचायत पोरसा के सी ई ओ देवेन्द्र जैन का कहना है कि गधों के मेले के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है मैं दिखाने का प्रयास करूंगा काफी लंबे समय पहले यह मेला बंद हो चुका है इसलिए इस बारे में ज़बाब नहीं दे सकता सीएमओ सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि हमारी जानकारी में नहीं है मेला कब लगता था इसका हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है नगर पालिका कायम होने से पूर्व यह मेला लगता था इसे संभवतः जनपद पंचायत देखती थी हमारे यहां इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है
