आर्कियोलॉजिस्ट केके मुहम्मद बोले- भारत सिर्फ इसलिए सेक्युलर, क्योंकि यहां हिंदू ज्यादा

भोपाल: अयोध्या में विवादित ढांचे के ढहने से लेकर श्रीराम मंदिर के निर्माण तक अहम भूमिका निभाने वाले आर्कियोलॉजिस्ट केके मुहम्मद ने BJP सरकार में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का डार्क पीरियड बताया है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार में ASI का सबसे खराब समय रहा है। उन्होंने बताया कि कैसे हजारों मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गईं।केके मुहम्मद शनिवार को प्राइवेट कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भोपाल आए थे। ने उनसे खास बातचीत की। उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से विचार रखे। पढ़िए, पूरा इंटरव्यू…।भास्कर: श्री राम मंदिर निर्माण से कितने संतुष्ट हैं? बाकी मंदिरों को लेकर क्या विचार हैं? केके मुहम्मद: मेरा जीवन सफल हो गया है। हम लोग पहले से कोशिश कर रहे थे। श्री राम मंदिर निर्माण से जिंदगी सफल हो गई है। देश में इसी तरह के और भी कई मुद्दे हैं। इन मुद्दों को प्रशासन को बैठकर, सभी पक्षों को सुनकर हल करना चाहिए। अगर हल नहीं करेंगे, तो यह बड़ी समस्या बन सकते हैं, जो कि देश को पीछे खीचेंगी।भास्कर: ज्ञानवापी मामले में क्या कहना है? इसे कैसे हल करना चाहिए?केके मुहम्मद: ज्ञानवापी मामला एक लीगल केस है। इसमें अभी तो हमारा कोई रोल नहीं है। मुझे लगता है कि मथुरा और काशी के ज्ञानवापी मामले को जल्द हल करना चाहिए। यहां प्रमाण की कमी नहीं है। बस, यहां सच को सच मानकर समझने की जरूरत है। मैं हमेशा मुसलमानों से कहता हूं कि पकिस्तान से अलग होने के बावजूद भारत सेक्युलर है, क्योंकि यहां हिंदुओं की मेजॉरिटी है।भोपाल में प्रोग्राम में बतौर स्पीकर अर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद। वे शनिवार को प्राइवेट कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भोपाल आए थे।भास्कर: आपने किताब में अयोध्या में 12वीं शताब्दी के खंभों और पत्थरों का जिक्र किया है! क्या वह आज भी संरक्षित है?केके मोहम्मद: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जितने संरक्षित कर सकती है, कर रही है। बहुत सारे ऐसे हैं, जिन्हें संरक्षित करना चाहिए था, लेकिन नहीं किया गया है। जितना सरकार को इसमें इंटरेस्ट लेना चाहिए था, उतना नहीं लिया गया।भास्कर : जब फैसला किसी के पक्ष में आता है, तो दूसरे समुदाय को इसे कैसे देखना चाहिए?केके मोहम्मद: ऐसे समय में इतिहास ही सही राह दिखाता है। जब बात साइंटिफिक रिसर्च की हो, तो उस पर विश्वास करना चाहिए। भारत जैसे देश में मैं कहता हूं कि मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाए जाने पर कई मामले सामने आएंगे। ऐसे में पहले जो गलती की है, उसे सुधारने के पक्ष में सोचना चाहिए। अगर इसे एहसास कर लिया, तो हर कम्युनिटी दूसरे नजरिए से सोचना शुरू कर देगी, लेकिन जो गलती का एहसास नहीं करते हैं, वही सबसे बड़ी दिक्कत का कारण है।भास्कर: भारत में आर्कियोलॉजिस्ट का भविष्य कैसे देखते हैं?केके मोहम्मद: नहीं, बिल्कुल भी नहीं, ना स्टूडेंट्स आगे आ रहे हैं और न गवर्नमेंट सपोर्ट कर रही है। बीजेपी गवर्नमेंट से कुछ उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। मैं कहता हूं कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का सबसे खराब समय भारतीय जनता पार्टी के राज में ही है।बीजेपी के राज में ASI का डार्क पीरियडपुरातत्वविद मोहम्मद ने बेबाकी से कहा, मैं झूठ नहीं बोलता। मैं कहना चाहूंगा कि भारतीय जनता पार्टी के राज में ASI का सबसे खराब समय रहा है। पार्टी से जितनी उम्मीदें थीं, उतना काम उन्होंने बिल्कुल नहीं किया।कार्यक्रम के दौरान गोंड जाति और भारत पर लिखी गई बुक भी लॉन्च की गई।12 स्तंभों से पता चला कि अयोध्या में मंदिर थाकेके मोहम्मद ने कहा कि बाबरी मस्जिद की खुदाई के दौरान हिंदू प्रतीकों के साथ 12 स्तंभ मिले थे। साथ ही, खुदाई में टेराकोटा की मूर्तियां भी मिलीं, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि मस्जिद से पहले वहां मंदिर मौजूद था। उन्होंने कहा कि भारत में मंदिर-मस्जिदों को लेकर लोगों में कई और बड़ी समस्याएं हैं, जिन्हें साथ शांति से हल किया जा सकता है। उन्होंने विरासत को सहेजने में शासन से सहयोग की अपील भी की।कौन हैं केके मुहम्मदपहली बार जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद का मुद्दा उठाया गया, तब उसी खुदाई का जिम्मा आर्कियोलॉजिस्ट बीबी लाल को दिया गया। दरअसल, बीबी लाल ने कहा था कि मस्जिद के नीचे प्राचीन मंदिर है। उस समय केके मुहम्मद भी बीबी लाल की टीम में शामिल थे। इस मामले में बीबी लाल पर कार्रवाई भी की गई, क्योंकि कोई भी मंदिर का अस्तित्व मानने के लिए तैयार नहीं था। तब केके मुहम्मद 1976-77 में पहली बार अयोध्या में राम मंदिर की खुदाई के लिए गए थे। वह बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेषों का पता लगाने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने खुलासा किया- कैसे मंदिर के खंभों पर मस्जिद बनाई गई थी। उनकी रिसर्च पहली बार 1990 में पब्लिश हुई थी।