धार्मिक
भागवत कथा श्रवण से होता है भक्तों का कल्याण पूज्य महाराज जी ने द्वितीय दिवस कथा में सुनाया गोकर्ण धुंधकारी प्रसंग
भागवत कथा श्रवण से होता है भक्तों का कल्याण पूज्य महाराज जी ने द्वितीय दिवस कथा श्रीमद् बल्भाचार्य जी के वंशज गो. श्री दर्शन कुमार जी महोदय श्रीमद् भागवत् कथा द्वितीय दिन में महात्म को विराम देते हुए धुँधकारी की कथा का बड़ा सुन्दर चित्रण किया जो व्यक्ति सदाँ व्यसन का चिन्तन करता रहेगा उस की आशक्ति व्यसन में होती जाती है। एवं उसमें कामना जागृत हो जाती हैं। यह आवश्यक नहीं है कि हमारी सभी कामना पूर्ण हो जाए जब कामना पूर्ण नहीं होने पर जीव को क्रोध आ जाता है। एवं वह धर्म क्या है,अधर्म क्या है सब कुछ भूल जाता है। जब कि मानव जीवन वैष्णवी होना चाहिए। जैसा कि वृजांगनाओं का था। जो कि प्रातः काल से ही उन्होंने जीवन प्रभु चिंतन से प्रारम्भ होता था। इसी प्रकार हमारा जीवन होना चाहिए आप ने बताया कि चार प्रकार के जीव भगवान का भजन करते हैं। भागवत् कथा सभी प्रकार के भक्तों को श्रीमदभागवत् कथा का श्रवण करना चाहिए। आप ने भागवत् कथान्तर्गत बड़ी सुन्दर भगवान के प्रति की गई कुंती जी की स्तुति का वर्णन किया।
