तेजी से बढ़ेगा बैंक बैलेंस, हर शुक्रवार एक बार जरूर करें इस स्रोत का पाठ, जानें क्या है पौराणिक मान्यता

देवयानीपितस्तुभ्यंवेदवेदाडगपारग:।
परेण तपसा शुद्धशडकरोलोकशडकरम।।
प्राप्तोविद्यां जीवनख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम:।
नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्रायवेधसे।।
तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भासिताम्बर।
यस्योदये जगत्सर्वमङ्गलार्ह भवेदिह ।।
अस्तं यातेहरिष्टंस्यात्तस्मैमंगलरुपिणे।
त्रिपुरावासिनो देत्यान शिवबाणप्रपीडितान्।।
विद्या जीवयच्छुको नमस्ते भृगुनन्दन।
ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन।।
वलिराज्यप्रदोजीवस्तस्मै जीवात्मने नम:।
भार्गवाय नम: तुभ्यं पूर्व गौर्वाणवन्दित।।
जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम:।
नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि।।
नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने।
स्तवराजमिदं पुण्यं भार्गवस्य महात्मन:।।
य: पठेच्छ्रणुयाद्वापि लभतेवास्छितं फलम्।
पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभेत श्रियम् ।।
राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम्।
भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं समाहिते ।।
अन्यवारे तु होरायां पूजयेदभृगुनन्दनम्।
रोगार्तो मुच्यते रोगाद्रयार्तो मुच्यते भयात् ।।
यद्यात्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा।
प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत: ।।
सर्वपापविनिर्मुक्त प्राप्नुयाच्छिवसन्निधौ ।।
शुक्र गायत्री मंत्र
ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात् ।।
शुक्र तांत्रिक मंत्र
ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
ऊँ वस्त्रं मे देहि शुक्राय स्वाहाशुक्र एकाक्षरी बीज मंत्र ||
शुक्र पौराणिक मंत्र
ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
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