इतने मरीज कि समय से पहले नीदरलैंड से मंगवाई इरिडियम मेटल

जबलपुर। जबलपुर समेत आसपास के तमाम जिलों में कैंसर का खतरा बढ़ा है। मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर स्थित प्रदेश के एकमात्र स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में मरीजों की संख्या से इसका अनुमान लगाया जा सकता है। यहां रोजाना 150-200 कैंसर के मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं। अस्पताल में तमाम कैंसर मरीजों को ब्रेकी थेरेपी से रेडियोथेरेपी की निश्शुल्क सुविधा दी जा रही है। सुविधा के चलते महाकोशल, विंध्य, बुंदेलखंड के तमाम जिलों व प्रदेश के अन्य शहरों से कैंसर रोगी यहां उपचार करने पहुंचते हैं।
थेरेपी से प्रति सिकाई 20-25 हजार रुपये खर्च होते हैं
निजी क्षेत्र के अस्पतालों में इस थेरेपी से प्रति सिकाई 20-25 हजार रुपये खर्च होते हैं परंतु आयुष्मान योजना के लाभार्थियों व जरूरतमंदों को स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में यह सुविधा निश्शुल्क दी जा रही है। ब्रेकी थेरेपी के सोर्स में इरिडियम मेटल का उपयोग होता है। स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट इसकी खरीदी अनुबंधित विदेशी कंपनी के माध्यम से नीदरलैंड से करता है। छह माह के हिसाब के इरिडियम मेटल की खरीदी की जाती है। परंतु ब्रेकी थेरेपी के लिए मरीजों की संख्या बढ़़ने के कारण कई बार तय समय से पहले इसका आर्डर जारी करना पड़ता है। रोजाना कम से कम छह मरीजों को ब्रेकी थेरेपी का लाभ मिलता है। थेरेपी के प्रारंभ होने के कुछ माह तक यह संख्या दो-तीन मरीज तक सीमित रही। ब्रेकी थेरेपी के लिए तमाम मरीजोें को पहले मुंबई, नागपुर, भोपाल आदि शहरों तक दौड़ना पड़ता था।
यह होता है फायदा
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. श्याम जी रावत ने बताया कि ब्रेकी थेरेपी तकनीक मरीजों के लिए फायदेमंद है। दरअसल, कैंसर मरीजों को रेडियोथेरेपी देने में स्वस्थ कोशिकाओं को रेडिएशन से नुकसान पहुंचता है। ब्रेकी थेरेपी तकनीक में केवल कैंसरग्रस्त कोशिका पर रेडिएशन डाला जाता है। जिससे स्वस्थ कोशिकाओं को सुरक्षा मिलती है। कैंसरग्रस्त कोशिकाओं के आसपास के टिश्यू नष्ट होने से बच जाते हैं। यह तकनीक गर्भाशय, प्रोस्टेट, ब्रेस्ट और मुंह के कैंसर में ज्यादा कारगर है। इरिडियम के प्रयोग से कैंसरग्रस्त कोशिकाएं परत दर परत नष्ट हो जाती हैं। इरिडियम व जैविक तत्वों का मिश्रण सीधे कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करता है।
यह है स्थिति
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की ओपीडी में रोजाना 150 से ज्यादा मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं। इनमें जबलपुर के अलावा, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, कटनी, सतना, मैहर, चित्रकूट, रीवा, सीधी, सिंगरौली, सागर, दमोह, पन्ना, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, बालाघाट, मंडला, छिंदवाड़ा, सागर, छतरपुर समेत कुछ अन्य जिलों के मरीज शामिल रहते हैं। कैंसर मरीजों को रेडियोथेरेपी देने के लिए एक कोबाल्ट मशीन व एक ब्रेकी थेरेपी यूनिट चालू है।