हमारे मददगार जब्बार भाई अलविदा….

हमारे बहुत पुराने मित्र मददगार जब्बार भाई नही रहे । अल्लाह उन्हें जन्नत बक्शे । 70 के दशक में जब मैं मुरैकेना पहुँचा था और पत्रकारिता शुरू की थी उस दौरान जिन लोगों से घनिष्टता हुई थी जब्बार और गफ्फार भाई उनमे पहले थे ।दोनो निस्वार्थ मदद को हर दम तैयार रहने बाले गफ्फार तो कई साल पहले जन्नतनशीं हो गए थे जब्बार भाई भी आज हमसे बिछुड़ गए। मुरैना में उन्हें विद्या भैया यानी कांग्रेस के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल का हनुमान कहा जाता था हकीकत में विद्या भैया जब्बार भाई को तबज्जो भी बहुत देते थे मुझे यू एन आई का रिपोर्टर बनबाने जब्बार भाई ही दिल्ली ले गए थे वहां उन्होंने विद्या भैया से ही यू एन आई में फोन करवाया था और एक दिन में मैं उसका रिपोर्टर बन गया था जब्बार भाई के साथ हम चार लोगों की कफलिया होती थी जिसमें मुरारी लाल दुबे जी , बाबा बसइया बाले जो उन दिनों मन्दिर से निष्काषित होकर काशी बाई की धर्मशाला के बरामदे में एक तख्त पर पड़े रहते थे राजे बाबू मुरैना टाकीज बाले और कभीकभी मैं अक्सर दिल्ली जाया करते थे विद्या भैया से मिलने विद्या भैया जब्बार भाई की कही बात कोकभी टालते नही थे उनके छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय हों जाने का सबसे ज्यादा नुकसान जब्बार भाई को हुआ था उसके बादमुरैना की राजनीति में उन्हें वह जगह फिर कभी नही मिली जो विद्या भैया के हनुमान के तौर पर उन्हें मिली थी । पिछले कई सालों से हम मिले नही थे उम्र ने और बीमारी ने उन्हें लाचार कर दिया था और आज मौत उन्हें हमेशा केलिए छीन ले गई । अलविदा जब्बार भाई ।जन्नत में आराम करिये ।हमारे दिल में आप हमेशा जिंदा रहेंगे ।