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मध्यप्रदेश

चुनावी तैयारियों में भाजपा निकली आगे 39 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने से तेज हुई हलचल

भोपाल। हमेशा चुनावी मोड में होने का दावा करने वाली भाजपा ने मध्‍य प्रदेश में 39 प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी कर चुनावी तैयारियों में कांग्रेस से शुरुआती बढ़त बना ली है।

चुनावी तैयारियों का मोर्चा केंद्रीय नेतृत्‍व ने संभाला

केंद्रीय नेतृत्व ने जुलाई से चुनावी तैयारियों का मोर्चा संभाला और केंद्रीय गृह मंत्री ने प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे किए। उन्होंने इंदौर से संभागीय सम्मेलन की शुरुआत की, तो प्रदेश के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने ग्वालियर में संभागीय सम्मेलन का समापन किया।

अब प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन

अब भाजपा वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन आयोजित कर रही है। बूथवार तैयारियों के तहत पन्ना कमेटी और अर्ध पन्ना प्रमुख तय किए जा चुके हैं। क्षेत्र के बड़े नेताओं को बूथ की 15 सूत्रीय जिम्मेदारी सौंपी गई, बूथ में दीवार लेखन से लेकर मोटर साइकिल वालों की सूची तैयार की जा रही है। चुनाव से पहले इन्हें प्रचार में लगाया जाएगा। पार्टी ने सभी बूथ का फीडबैक पहले ही ले लिया है। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार के 230 विधायकों को भी सभी विधानसभा क्षेत्र में भेजा जा रहा है।

कर्नाटक की पराजय से सबक

कर्नाटक चुनाव में मिली हार के बाद से ही भाजपा मप्र सतर्क है। पार्टी ने सबक लेते हुए सबसे पहले कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने पर जोर दिया। संवादहीनता, काम का अभाव, महत्व न मिलने जैसी शिकायतों से कार्यकर्ता सत्ता-संगठन दोनों से खफा थे। पीढ़ी परिवर्तन और कांग्रेस से आए नेताओं के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं का बड़ा वर्ग नाराज होकर घर बैठ गया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच समरसता के दावे के बावजूद मूल कार्यकर्ताओं को भविष्य की चिंता भी सता रही थी।

बड़े नेताओं को जिलों में भेजा, कार्यकर्ताओं से संवाद कराया

इस बीच पूर्व मंत्री दीपक जोशी के कांग्रेस में जाने से भाजपा ने भविष्य के संकेतों को भांप लिया था। इसके बाद पार्टी ने प्रदेश के 14 बड़े नेताओं को सभी जिलों में भेजकर कार्यकर्ताओं से संवाद कराया। इसके परिणाम बेहतर आए और कार्यकर्ताओं की नाराजगी काफी हद तक दूर हो गई। पार्टी ने इसके बाद कोर ग्रुप की बैठक को नियमित कर सभी नेताओं को महत्व देना प्रारंभ किया, ताकि वे भी मन से काम में जुट जाएं।

बूथ प्रबंधन की कार्ययोजना का पहला चरण पूरा

भारतीय जनता पार्टी ने बूथ प्रबंधन की कार्ययोजना का पहला चरण पूरा कर लिया है। दूसरे चरण में बूथ स्तर पर संभाग स्तर के 50 नेताओं को 15 सूत्रीय कार्यक्रम सौंपे गए हैं। इसके अंतर्गत प्रत्येक नेता को लगभग 50 बूथ सौंपे गए हैं, इनमें उन्हें बूथ प्रबंधन से जुड़े अन्य काम करने होंगे। मोदी- शिवराज की योजनाओं का इसके जरिए प्रचार किया जाएगा। बूथ पर रहने वाले किन-किन लोगों के पास मोटरसाइकिल है, उन सभी लोगों की सूची तैयार करवाई जाएगी ताकि वे चुनाव प्रचार की कमान संभाल सकें। दूसरे चरण के साथ पार्टी ने तीसरा चरण भी आरंभ कर दिया है। अब हर विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन हो रहे हैं, इसमें प्रदेश के बड़े नेता, पदाधिकारी, केंद्रीय मंत्री या अन्य शामिल हो रहे हैं।

चुनाव से तीन महीने पहले प्रत्‍याशियों की घोषणा

पार्टी ने अब मप्र विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले 39 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। इनमें से 13 अनुसूचित जनजाति (एसटी), आठ अनुसूचित जाति (एससी) और 18 सामान्य सीटें हैं। ये सभी हारी हुई सीटें हैं, जिन पर कांग्रेस या अन्य दल के विधायक काबिज हैं।

नए चेहरों को 23 सीटों पर दिया मौका

23 विधानसभा क्षेत्रों में नए चेहरे उतारे हैं। वहीं, कमल नाथ सरकार गिराने के लिए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रणवीर जाटव को टिकट न देकर संदेश दे दिया कि पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नहीं होगी। यही कारण है कि राजेश सोनकर और ललिता यादव काे क्षेत्र बदलकर अवसर दिया गया है। जाटव भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए थे और वर्ष 2020 में उपचुनाव में हार गए थे, सोनकर और ललिता की सीट पर सिंधिया समर्थक विजयी होने से दोनों के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया था। यह सीटें कांग्रेस की परंपरागत सीटें हैं, यदा-कदा ही भाजपा इन सीटों पर जीत पाती है।

मोदी और अमित शाह के दौरों की संख्‍या बढ़ी

इधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रदेश में दौरे की संख्या बढ़ती जा रही है। जुलाई में प्रधानमंत्री शहडोल आए तो उन्होंने आदिवासी वर्ग के साथ संवाद किया और अगस्त में आए तो संत रविदास मंदिर की आधारशिला रखी। यही दोनों अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग ऐसे हैं, जिनकी भाजपा से दूरी बढ़ने के कारण पार्टी को 2018 में सत्ता से बाहर होना पड़ा था। अब भाजपा के प्रयास काफी हद तक इन वर्गों की गहरी खाई को पाटने में सफल हुए हैं। पार्टी एक पखवाड़े बाद कुछ और सीटों पर भी प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है। यह सीटें भी कम अंतर से हार-जीत वाली हैं।

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