ब्रेकिंग
केंद्र सरकार कराऐगी जाति जनगणना PCC चीफ ने कहा, DGP का आदेश खाकी वर्दी का अपमान सांसद-विधायक को सैल्यूट करेगें पुलिस कर्मी, ये लोकतं... सीएम बोले- पाकिस्तानी नागरिकों को एमपी से जल्द बाहर करें: पुलिस अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्दे... मंदसौर में तेज़ रफ़्तार कार कुऐ में गिरी 6 लोगों की मौत केंद्र सरकार का एक और सख्त फैसला, पाकिस्तानी हिंदुओं की चारधाम यात्रा पर रोक कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अमित शाह को बताया शिव अवतार, बयान पर मचा बवाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-साम... केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: पाकिस्तानी हिन्दु , सिखो का वीजा रद्द नहीं होगा नवविवाहिता के साथ रेप कर हत्या, कमरे में निवस्त्र मिली लाश, जेठ पर आरोप कमरे में निवस्त्र मिली लाश,... पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा पर खतरा मंडराया, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल मध्यप्रदेश में एक मई से होगे ट्रांसफर मुख्यमंत्री ने शिक्षण सत्र खत्म होने के बाद बताया तबादलों का क...
दिल्ली NCR

Delhi Service Bill पारित होने से ‘AAP’ और LG के बीच बढ़ सकता है टकराव

नई दिल्ली:  संसद में दिल्ली सेवा विधेयक सोमवार को पारित हो गया और इसी के साथ दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और उपराज्यपाल के बीच नए सिरे से टकराव का मंच तैयार हो गया है। राज्यसभा ने 102 के मुकाबले 131 मतों से ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023′ को मंजूरी दे दी है। लोकसभा में यह गत वीरवार को पारित हो चुका है।

 गृह मंत्री अमित शाह ने यह विवादास्पद विधेयक संसद में पेश किया और कहा कि इस विधेयक का मकसद राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के हितों की रक्षा करना है। यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेगा।

भारत के लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’
बहरहाल, इस मामले पर अब भी तलवार लटकी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में शासन पर संसद की शक्तियों का अध्ययन करने के लिए पिछले महीने एक संविधान पीठ गठित की थी जिसने अभी तक अपना फैसला नहीं दिया है। राज्यसभा में यह विधेयक पारित होने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए “काला दिन” है और उन्होंने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर पिछले दरवाजे से सत्ता “हथियाने” की कोशिश करने का आरोप लगाया।

आप’ सरकार के बीच शिक्षकों के प्रशिक्षण
एक ओर केंद्र तथा उपराज्यपाल तथा दूसरी ओर दिल्ली में निर्वाचित ‘आप’ सरकार के बीच सत्ता संघर्ष की जड़ 21 मई 2015 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना है जिसमें उपराज्यपाल को नौकरशाहों के तबादले तथा तैनातियों से जुड़े दिल्ली सरकार के ‘‘सेवा” मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया था। यह अधिसूचना केजरीवाल के 14 फरवरी 2015 को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के करीब दो महीने बाद जारी की गयी थी जिसे ‘आप’ सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। तब से पिछले 8 साल से LG कार्यालय तथा ‘आप’ सरकार के बीच शिक्षकों के प्रशिक्षण, निशुल्क योग कक्षाएं देने, डीईआरसी चेयरमैन की नियुक्ति, मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों की विदेश यात्राओं, सरकार द्वारा भर्ती किए गए 400 से अधिक विशेषज्ञों को हटाने तथा मोहल्ला क्लिनिक के वित्त पोषण समेत कई मुद्दों पर टकराव जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि गृह मंत्रालय की अधिसूचना से पहले दिल्ली के ‘सेवा’ विभाग पर नियंत्रण ‘‘अस्पष्ट” था।

दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव पी के त्रिपाठी ने कहा, ‘‘अधिकारियों के तबादलों तथा तैनाती पर उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच एक तरह की समझ बनी हुई थी। आयुक्त तथा शीर्ष स्तर के अधिकारियों के तबादले तथा तैनाती उपराज्यपाल ही करते थे जबकि मुख्यमंत्री अन्य अधिकारियों के मामलों में अपनी राय रखते थे। अगर कोई मतभेद होता था तो उसे दोनों पक्षों के बीच बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाता था।”

दिल्ली सरकार में अधिकारियों के एक वर्ग को लगता है कि नए कानून से प्रदेश में निर्वाचित सरकार तथा केंद्र के बीच चल रहा झगड़ा खत्म हो जाएगा जिससे संवैधानिक प्राधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में स्पष्टता आएगी। ‘आप’ के एक नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि इस विधेयक से दिल्ली सरकार और LG के बीच मतभेदों को हल करने में कोई मदद नहीं मिलेगी।

Related Articles

Back to top button