नौकरीपेशा भी करते हैं वायदा ट्रेडिंग तो व्यापार के रिटर्न फार्म में भरना होगा मुनाफा

इंदौर। नौकरीपेशा भी यदि फ्यूचर एवं आप्शंस (वायदा) में ट्रेडिंग करते हैं तो उन्हें इसकी कमाई या घाटे को आयकर के नियमों के अनुसार बिजनेस हेड में ही घोषित करना होगा। यानी एक ट्रांजेक्शन के कारण भी उन्हें व्यापार वाला रिटर्न फार्म भरना होगा।
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (टीपीए) के सेमिनार में विशेषज्ञों ने यह बात कही। टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा शेयर्स एवं डेरिवेटिव्स की अकाउंटिंग, ऑडिटिंग एवं टैक्सेशन पर आयोजित सेमिनार में ऐसे तमाम बिंदु सामने आए। सेमिनार में विषय विशेेषज्ञ के रूप में सीए विक्रम गुप्ते एवं सीए दीपक माहेश्वरी प्रविधानों की व्याख्या करने के लिए मौजूद थे।
प्रोफेशनल्स के लिए भी समझना जरूरी
टीपीए के अध्यक्ष सीए शैलेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि शेयर्स एवं डेरिवेटिव्स के ट्रांसेक्शन्स की रिकार्डिंग एवं टैक्सेशन प्रक्रिया में अभी भी कई भ्रांतियां हैं। इसी के चलते कर विवाद की आशंका हमेशा बनी रहती है। टैक्स प्रोफेशनल्स के लिए भी यह समझना जरूरी है कि इन व्यवहारों को कैसे रिकार्ड करना है, ऑडिट में क्या सावधानियां रखनी है।
नियमों को ध्यान में रखकर रिटर्न भरना आवश्यक
सीए दीपक माहेश्वरी ने कहा कि मौजूदा दौर में अधिकांश करदाताओं द्वारा शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की जा रही है। शेयर मार्केट के ट्रांजेक्शन पर कर का दायित्व अनेक श्रेणियों में विभाजित है। कई बार करदाता जानकारी के अभाव में सही सूचना अपने रिटर्न में पेश नहीं कर पाता है। इससे आयकर विभाग द्वारा विभिन्न तरह के नोटिस और कार्यवाही की जाती है। क्योंकि शेयर मार्केट के ट्रांजेक्शन को सामान्य व्यापारिक आय, सट्टात्मक व्यापारिक आय, दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ और अल्पकालीन पूंजीगत लाभ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसके संबंध में अलग-अलग शीर्षक की आय पर अलग-अलग तरीके से कर दायित्व आता है। इसलिए इनसे संबंधित नियमों का ध्यान रखकर रिटर्न भरा जाना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा बाद में परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है।
सट्टात्मक व्यापार और सामान्य व्यापार
उन्होंने कहा कि इंट्रा-डे ट्रेडिंग जिसे सामान्य व्यवहार की भाषा में जाबिंग कहते हैं, उससे हुई हानि को किसी भी अन्य लाभ से समायोजित नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे सट्टातमक व्यापार से अर्जित हुआ माना जाता है। इसी तरह के गतिविधि से आगामी चार वर्षों में कोई लाभ होता है तो उसी से समायोजित किया जा सकता है। वहीं, फ्यूचर एंड आप्शन में कार्य करने से हुई आमदनी सामान्य व्यापार की आय मानी जाती है।
कैपिटल गेन के अलग नियम
कैपिटल गेन टैक्स के अंतर्गत करारोपण के लिए भी अलग-अलग सिक्योरिटी के लिए अलग-अलग नियम बने हुए हैं। इसके आधार पर उन्हें अल्पकालीन और दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। सीए विक्रम गुप्ते ने कहा कि शेयर्स एवं डेरिवेटिव्स ट्रांजेक्शन्स की अकाउंटिंग आइसीएआइ के गाइडेंस नोट्स तथा इस संबंध में समय-समय पर जारी हुए नोटिफिकेशन्स के आधार पर ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि फ्यूचर एंड आप्शंस में टर्नओवर कैसे निकलना चाहिए, इसका आयकर कानून में कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आइसीएआइ ने गाइडेंस नोट में टर्नओवर गणना की विधि बताई गई है। इसके अनुसार प्रत्येक संव्यहार के पॉजिटिव या नेगेटिव रिजल्ट (फिगर) को जोड़कर टर्नओवर निकाला जाना चाहिए। ऑप्शंस सेल पर जो प्रीमियम प्राप्त की गई है वह भी टर्नओवर का हिस्सा होगी।
सेमिनार का संचालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने किया। आभार अभिभाषण सीए शाखा के उपाध्यक्ष सीए अतिशय खासगिवाला ने माना। इस अवसर पर सीए अजय सामरिया, सीए सुनील पी जैन, सीए मनोज गुप्ता, सीए मयंक शर्मा, सीए जेपी सराफ, सीए अनिल खंडेलवाल, सीए निलेश माहेश्वरी सहित बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित थे।