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चंबल में अनोखा भंडारा गौ सेवको ने पत्तल पर भरपेट बूंदी पूड़ी का भंडारा दिया गायों को।
भिंड जिले में बड़े से बड़े भंडारों के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन शहर के पुरानी गल्ला मंडी में हर साल एक अनोखा भंडारा होता है। यहां सड़कों पर घूमने वाली गायाें का निमंत्रण किया जाता है और पत्तल में परोसकर उनको भरपेट पकवान खिलाए जाते हैं। रविवार को अयोजित भंडारे में बड़ी तादाद में मवेशियों ने दावत का लुत्फ उठाया। बता दें कि गोसेवकों के द्वारा रोजाना सुबह-शाम मवेशियों को हरा चारा और भूखा खिलाया जाता है।गौरतलब है कि पुरानी गल्ला मंडी में एडवोकेट रामकुमार पुरोहित सहित अन्य गोसेवक पिछले पांच साल से हर साल सड़कों पर आवारा घूम रही गायों के लिए भंडारे का आयोजन करते आ रहे हैं। उन्हों ने बताया कि शादी-विवाह और भंडारे के दाैरान झूठी पत्तलों को एक जगह फेंक दिया जाता है। वहां पर यह आवारा मवेशी भूख मिटाने के लिए पहुंच जाते हैं। लेकिन कई बार इस मवेशियों को लोगों द्वारा झूठी पत्तल से भी भोजन नहीं खाने दिया जाता है और उन को दुत्कार भगा दिया जाता है। ऐसा ही एक दृश्य मैंने पांच साल पहले एक भंडारे के दौरान देखा था, तब मैं मवेशियों को पक्का भोजन कराने की ठान ली थी।गल्ला मंडी परिसर में गायों ने छककर किया भोजनगो सेवकों ने गल्ला मंडी परिसर में घूम रहे आवारा मवेशियों को आवाज लगाकर भंडारे में निमंत्रण के लिए बुलाया। जिसके बाद उन्होंने मवेशियों के सामने पत्तल में पूरी, घोंटा आलू की सब्जी और बूंदी परोसी। मवेशियों ने भी छककर भोजन किया। वहीं भंडारे में भाजपा के भगवानदास सैंथिया बाबा, एडवोकेट अवधेश सिंह कुशवाह, डॉ. रमेश दुबे, संतोष लहारिया, रामअवतार शिवहरे सहित अन्य लोगों ने भी मवेशियों को पूरी और बूंदी परोसी।गाय हमारी संस्कृति, राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाएगायों को भोजन कराने के दौरान गौ सेवकों कहा कि गाय हमारी संस्कृति का हिस्सा है। गाय भारतीय संस्कृति में देवालय का प्रतीक मानी जाती है। जिस मे सभी देवताओं का वास माना जाता हैं। भारत में विश्व का सर्वाधिक गोवंश पाया जाता है। केंद्र सरकार गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि गायों को अगर सड़कों पर खुला छोड़ने की वजह लोग उसको घर में बांधकर रखें तो आवारा मवेशियों की समस्या अपने आप हल हो जाएगी
