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मोदी सरकार 0.3 कैबिनेट : जो जीता वहीं सिकंदर नहीं, जो हारा वह भी सिकंदर, और जो नहीं लड़ा वह भी सिकंदर बना।

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर इतिहास रच दिया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी नेता और जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे नेता हैं। उनके साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 71 मंत्रियों को शपथ दिलाई। इस मंत्रिमंडल से स्पष्ट होता हैं की जो जीता सिर्फ वहीं सिकंदर नहीं होता, जो हार जाता हैं वह भी सिकंदर बन जाता हैं और जो नही लड़ता है वह भी सिकंदर बन सकता हैं। बता दें की पंजाब और तमिलनाडु में हार का सामना करने वाले रवनीत सिंह बिट्टू और एल मुरुगन नई मंत्रिपरिषद का हिस्सा हैं। जबकि महाराष्ट्र की आरपीआई पार्टी जिसने इस चुनाव में कोई उम्मीद्वार नहीं उतारा यानि नहीं लड़े उसे भी मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में 9 जून को नए मंत्रियों में राज्यसभा के कुछ सदस्य और कुछ अन्य ऐसे लोग शपथ ग्रहण करने वालों में शामिल थे जिन्होंने या तो लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा या वे लोकसभा सदस्य नहीं हैं। बहुमत से कम सीट जीतने पर गठबंधन को राजनीति में किस तरह सर आंखों पर बिठाना पड़ता हैं वह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में देखने मिल रहा हैं। भाजपा के एनडीए सहयोगियों को पांच कैबिनेट मंत्री पद मिले हैं जबकि मोदी 0.2 सरकार में एक भी कैबिनेट मंत्री नहीं था। इस बार पार्टी लोकसभा में बहुमत के लिए सहयोगियों पर निर्भर है, इसलिए नए मंत्रिमंडल में इसे देखा जा सकता हैं। भाजपा को पिछले दो कार्यकालों 16वीं और 17वीं लोकसभा - में पूर्ण बहुमत प्राप्त था, जो मंत्रिपरिषद में परिलक्षित हुआ था तथा केवल कुछ गठबंधन सहयोगियों को ही स्थान दिया गया था। निवर्तमान मंत्रिपरिषद में भाजपा के सहयोगी दलों से दो राज्य मंत्री - अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल और आरपीआई (ए) के रामदास अठावले शामिल थे। जबकि मोदी सरकार 3.0 में सहयोगी दलों को 5 कैबिनेट पद आवंटित किए गए हैं, जबकि 2 राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है और 4 राज्य मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। कैबिनेट पदों का वितरण जेडीयू, टीडीपी, एलजेपी, जेडीएस और एचएएम सहित बड़े गठबंधन सहयोगियों के पक्ष में है, जिसमें प्रमुख लोगों को कैबिनेट पद हासिल हैं। इन मंत्रियों व इनकी पार्टी के नाम इस तरह से हैं; "1. किंजरापु राम मोहन नायडू: तेलुगू देशम पार्टी 2. चंद्रशेखर पेम्मासानी: तेलुगू देशम पार्टी 3. प्रतापराव जाधव: शिवसेना 4. राम नाथ ठाकुर: जनता दल (यूनाइटेड) 5. एचडी कुमारस्वामी: जनता दल (सेक्युलर) 6. जीतन राम मांझी: हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा 7. रामदास अठावले: रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) 8. चिराग पासवान: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 9. जयंत चौधरी: राष्ट्रीय लोक दल 10. राजीव रंजन सिंह: जनता दल (यूनाइटेड) 11. अनुप्रिया पटेल: अपना दल (एस)" इसी प्रकार नई कैबिनेट में उन मंत्रियों की सूची दी गई है जो लोकसभा के सदस्य नहीं हैं परंतु कुछ माननीय राज्यसभा के सदस्य हैं; श्री एस जयशंकर: गुजरात से दो बार राज्यसभा सदस्य चुने गए जयशंकर को एक बार फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। उन्हें 31 मई, 2019 को नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री बनाया गया था। श्रीमति निर्मला सीतारमण: आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से दो बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं, सीतारमण , जिन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में वित्त मंत्रालय का पोर्टफोलियो संभाला था, को एक बार फिर मोदी 3.0 सरकार में शामिल किया गया है। श्री जेपी नड्डा: राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को रविवार को मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। नड्डा इससे पहले 9 नवंबर 2014 से 30 मई 2019 तक नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। श्री रामदास अठावले: रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य अठावले पिछली सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री थे। एनडीए की सहयोगी आरपीआई (ए) ने महाराष्ट्र से लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। श्री हरदीप सिंह पुरी: राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री, पुरी ने भी मोदी 3.0 कैबिनेट में मंत्री के रूप में शपथ ली। 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी, सिंह ने 2009 से 2013 तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया और जनवरी 2014 में भाजपा में शामिल हुए। श्री जार्ज कुरियन: केरल में अधिवक्ता और भाजपा के राज्य महासचिव कुरियन को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है। भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) के माध्यम से राजनीति में प्रवेश करने के बाद पिछले चार दशकों से वे केरल भाजपा में संगठन के व्यक्ति रहे हैं। श्री सतीश दुबे: बिहार के चंपारण क्षेत्र से राज्यसभा सांसद और ब्राह्मण नेता, उन्होंने 2014 और 2019 में लोकसभा में वाल्मीकि नगर सीट का प्रतिनिधित्व किया। दुबे ने गन्ना किसानों के मुद्दों को उठाने वाले एक कार्यकर्ता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। श्री संजय सेठ: रांची के व्यवसायी और राजनेता, संजय सेठ एक राज्यसभा सदस्य हैं, जिन्होंने एक असाधारण रूप से घटनापूर्ण कैरियर का नेतृत्व किया है। उन्होंने रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने 1976 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 2019 में सांसद बने। श्री रामनाथ ठाकुर: दो बार के जेडी (यू) राज्यसभा सदस्य और भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के बेटे, रामनाथ ठाकुर ने भी रविवार को राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। श्री बी एल वर्मा: राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा ने भी रविवार को राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। वे नरेंद्र मोदी के पिछले कार्यकाल में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री थे। श्री पबिता मार्गेरिटा: असम का प्रतिनिधित्व करने वाली राज्यसभा सांसद पबिता मार्गेरिटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। श्री एल मुरुगन: तमिलनाडु भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री एल मुरुगन को लोकसभा चुनाव में डीएमके के एन कयालविझी सेल्वराज ने हराया था। हालांकि, रविवार को उन्हें फिर से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। श्री रवनीत सिंह बिट्टू: 48 वर्षीय राजनेता और तीन बार सांसद रह चुके बिट्टू ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें लुधियाना निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा गया, लेकिन वे कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वरिंग से हार गए हैं। इस लचर नीति के बावजूद सरकार नई चुनौतियों से निपटने के लिए कई योजनाएं बनाए हुए हैं जो उसका कार्यकाल बेहतर से पूर्णता की और ले जाएगा। हालाकि बता दें कि मोदी सरकार 3.0 में शपथ लेने वाले 71 मंत्रियों में से पिछले मंत्रिमंडल में रहे भारतीय जनता पार्टी के करीब 41 मंत्रियों को बरकरार रखा है। कुल मिलाकर ये मंत्रिमंडल सरकार की मजबूत स्थिती परिलक्षित करता हैं।

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