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मध्यप्रदेश

नई सरकार से आस… विषयवार शिक्षकों की जल्द करें भर्तियां और गैर-शैक्षणिक कार्यों में न लगाएं

विद्यार्थियों की पांचवीं व आठवीं कक्षा के बाद स्क्रीनिंग कर उनके अंदर की प्रतिभा को पहचान कर शिक्षक उसे निखारने का कार्य करें। विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जानी चाहिए। इससे उनमें समझ बढ़ेगी कि कौन सा विषय लेना है। साथ ही मूलभूत सुविधाओं को पूर्ण किया जाए।

– मेधा वाजपेयी, शिक्षक, ज्ञानोदय स्कूल

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू कर दिया गया, लेकिन विशेषज्ञ नहीं होने के कारण उस विषय की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

– सुधा दुबे, सेवानिवृत्त शिक्षक

सभी सरकारी स्कूलों को सीएम राइज की तरह सर्वसुविधायुक्त बनाया जाए। खाली पदों पर भर्ती की जाए। प्रायमरी शिक्षकों के प्रशिक्षण से लेकर प्रोत्साहित करने पर ध्यान दिया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षकों का स्थानांतरण किया जाए। शिक्षक भी खुद अपनी जिम्मेदारी समझें।

– केडी श्रीवास्तव, प्राचार्य, रशीदिया सीएम राइज स्कूल

सरकारी स्कूलों में खेल प्रतिभाएं अधिक से अधिक निकलें। इसके लिए स्कूलों में खेल का बजट अधिक दिया जाए। साथ ही खेल शिक्षकों की भर्ती की जाए। स्कूलों में खेल मैदान और खेलने का सामान उपलब्ध करवाया जाए

– दीवान चंद्रमौली, खेल शिक्षक

शिक्षा के क्षेत्र में हर रोज नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। एनजीओ को इन प्रयोगों की जिम्मेदारी दी जा रही है। इसे बंद करना चाहिए। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जाना चाहिए। उनसे पढ़ाने का कार्य कराया जाए।

– उपेंद्र कौशल, विकासखंड अकादमिक समन्वयक

स्कूलों में विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षक होना चाहिए। कई प्रायमरी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं। इसे बंद करना चाहिए। इसके अलावा शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से दूर रखना चाहिए।

– देशमुख द्विवेदी, उच्च माध्यमिक शिक्षक

हर साल शिक्षकों की नई भर्तियां होनी चाहिए। इससे विषयवार शिक्षक उपलब्ध होंगे तो शिक्षण व्यवस्था में सुधार आएगा।

– सुरेंद्र शिवहरे, शिक्षक

एकीकृत शाला व्यवस्था के तहत नजदीक के प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों को एकीकृत कर दिया गया, लेकिन व्यवस्थाएं सुधारी नहीं गईं। कक्षाओं व भवनों की उपलब्धता को पूरी करनी होगी। बेसिक शिक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

– संजय शर्मा, सह समन्वयक, प्रौढ़ शिक्षा

स्कूल शिक्षा में सरकार को व्यापक आमूलचूल बदलाव करना चाहिए। शिक्षकों को बीएलओ कार्य में नहीं लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

– बीके शुक्ला, विकासखंड अकादमिक समन्वयक

प्राइमरी कक्षा से तकनीकी शिक्षा दी जाए। इसके लिए व्यावासायिक पाठ्यक्रमों पर अधिक जोर दिया जाए। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाए।

– सुनील दुबे, वृक्षमित्र

शिक्षा के अहम मुद्दे

-स्कूलों का बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, सभी मूलभूत सुविधाएं पूरी हों।

-शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए खाली पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति हो।

-शिक्षकों को गैरशैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जाए।

-प्राथमिक शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाए।

-विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जाए।

-बस्ते का बोझ कम किया जाए।

-हर रोज नए-नए प्रयोग नहीं किए जाएं।

-विद्यार्थियों को समय से सभी शासकीय योजनाओं का लाभ मिले।

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