ब्रेकिंग
केंद्र सरकार कराऐगी जाति जनगणना PCC चीफ ने कहा, DGP का आदेश खाकी वर्दी का अपमान सांसद-विधायक को सैल्यूट करेगें पुलिस कर्मी, ये लोकतं... सीएम बोले- पाकिस्तानी नागरिकों को एमपी से जल्द बाहर करें: पुलिस अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्दे... मंदसौर में तेज़ रफ़्तार कार कुऐ में गिरी 6 लोगों की मौत केंद्र सरकार का एक और सख्त फैसला, पाकिस्तानी हिंदुओं की चारधाम यात्रा पर रोक कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अमित शाह को बताया शिव अवतार, बयान पर मचा बवाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-साम... केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: पाकिस्तानी हिन्दु , सिखो का वीजा रद्द नहीं होगा नवविवाहिता के साथ रेप कर हत्या, कमरे में निवस्त्र मिली लाश, जेठ पर आरोप कमरे में निवस्त्र मिली लाश,... पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा पर खतरा मंडराया, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल मध्यप्रदेश में एक मई से होगे ट्रांसफर मुख्यमंत्री ने शिक्षण सत्र खत्म होने के बाद बताया तबादलों का क...
देश

दुष्कर्म पीड़िता के बच्चे को गोद लेने के बाद उसका DNA टेस्ट कराना उचित नहीं

बंबई उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि गोद दिए जाने के पश्चात दुष्कर्म पीड़िता के बच्चे की डीएनए जांच कराना बच्चे के हित में नहीं होगा। न्यायमूर्ति जी ए सनाप की एकल पीठ ने 17 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोपी को दस नवंबर को जमानत दे दी थी। लड़की दुष्कर्म के बाद गर्भवती हो गई थी। लड़की ने बच्चे को जन्म दिया और उसे गोद देने की इच्छा जताई। पीठ ने प्रारंभ में पुलिस से जानना चाहा कि क्या उसने पीड़िता से जन्मे बच्चे की डीएनए जांच कराई है।

इस पर पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि लड़की ने बच्चे को जन्म देने के बाद उसे गोद देने की इच्छा जताई। पुलिस ने बताया कि बच्चे को गोद लिया जा चुका है और संबंधित संस्थान गोद लेने वाले माता-पिता की पहचान उजागर नहीं कर रहा है। उच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह तर्कसंगत है। उच्च न्यायालय ने कहा,‘‘ यह कहना उचित है कि चूंकि बच्चे को गोद दिया जा चुका है ऐसी तथ्यात्मक स्थिति में बच्चे की डीएनए जांच उसके (बच्चे के) हित में और बच्चे के भविष्य के लिए ठीक नहीं होगी।”

आरोपी ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि वैसे तो पीड़िता की उम्र 17 वर्ष है और उनके बीच संबंध सहमति से बने थे। पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार आरोपी ने लड़की के साथ जबरदस्ती संबंध बनाए थे,जिससे वह गर्भवती हो गई थी। आरोपी को 2020 में ओशीवारा पुलिस ने दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के आरोप में भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण (पोस्को) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि वह इस स्तर पर आरोपी की इस दलील को स्वीकार नहीं कर सकता कि पीड़िता ने संबंध के लिए सहमति दी थी, लेकिन चूंकि आरोपी 2020 में गिरफ्तारी के बाद से जेल में है इसलिए जमानत दी जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि यद्यपि आरोपपत्र दाखिल किया गया लेकिन विशेष अदालत ने आरोप तय नहीं किए हैं।

Related Articles

Back to top button