10 तारीख को नवंबर का पहला प्रदोष व्रत, जरूर करें शिवाष्टक पाठ, इन बातों की रखें सावधानी

इंदौर। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हर माह प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक-एक प्रदोष व्रत आता है। पौराणिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा की जाती है तो साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
नवंबर में कब है प्रदोष व्रत
नवंबर माह का पहला प्रदोष व्रत 10 नवंबर, शुक्रवार को रखा जाएगा। शुक्रवार को प्रदोष व्रत होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम को सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद की जाती है। 10 नवंबर को शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05.41 बजे से रात 08.15 बजे तक रहेगा। इस दौरान शिव पूजा करना फलदायी होगा।
ऐसे करें प्रदोष व्रत में पूजा
- सुबह स्नान के बाद हल्के भगवा रंग के वस्त्र धारण करें।
- भगवान गणेश जी के सामने घी का दीया जलाकर व्रत का संकल्प लें।
- 108 बार भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करें।
- प्रदोष काल में भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं।
- आखिर में भगवान भोलेनाथ को रोली, मौली, चावल, धूप दीप आदि से पूजन करें।
- भगवान शिव को सफेद चावल की खीर का भोग लगाएं।
- प्रदोष व्रत में शिवाष्टक का पाठ जरूर करें।
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