“बे-बस” सेवा खत्म, अब 70 ई-बसों का सपना

ग्वालियर। ऐतिहासिक नगरी और दो-दो केंद्रीय मंत्री के शहर ग्वालियर में स्मार्ट सिटी बस सेवा के ठप होने पर गुरुवार को अंतिम मुहर लग गई। बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सपना देख रही जनता सूत्र सेवा में सवारी नहीं कर पाई। बस सेवा की ठेकेदार कंपनी नीरज ट्रैवल्स का ठेका टर्मिनेट कर गुरुवार को ही बस स्टैंड डिपो से कब्जा हटाकर नगर निगम ने अपने आधिपत्य में ले लिया। यहां से बसें भी हटवा दी गईं। पिछले पांच सालों में बस सेवा ही नहीं जिम्मेदार अफसर-माननीय भी बेबस से हो गए। अब ग्वालियर को एक और नया सपना दिखाने की तैयारी है। सपना इसलिए कि जब ग्वालियर में 32 बसें नहीं दौड़ पाईं तो अब 70 ई-बसों का सपना दिखाने की तैयारी है। प्रधानमंत्री ई-बस सेवा के तहत 70 बसों को चलाने का प्रस्ताव नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह ने भोपाल भेज दिया गया है।
नोटिस के बाद भी ट्रैवल्स ने नहीं चलाई बसें
ग्वालियर स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन द्वारा नीरज ट्रैवल्स एजेंसी का अनुबंध निरस्त की फाइल पर गत बुधवार को नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह ने हस्ताक्षर कर दिए। इसके अलावा संभागीय आयुक्त दीपक सिंह को लाइसेंस निरस्त करने के लिए भी पत्र लिखा है। गुरुवार को नगर निगम के अमले ने बस स्टैंड पर बने डिपो को खाली कराने की कार्रवाई की। इस दौरान यहां खड़ी पांच बसों को हटाकर शिफ्ट कराया गया, तो वहीं कार्यालय को भी निगम ने अपने कब्जे में ले लिया। नीरज ट्रैवल्स को पूर्व में कई बार सिटी बसों के संचालन शुरू करने के लिए चेतावनी दी गई थी, लेकिन वह कोई प्रयास नहीं कर रहा था। उलटा सूत्र सेवा की बसों को मालनपुर स्थित फैक्ट्री में किराए पर लगा दिया था।
निगम की कंपनी बनाने का हुआ निर्णय
हालांकि पिछले दिनों हुई स्मार्ट सिटी की बोर्ड बैठक में निर्णय लिया गया था कि निगम के अधीनस्थ एक ट्रांसपोर्ट कंपनी बनाई जाए, लेकिन अब ऐसा करने के बजाय प्रधानमंत्री ई-बस सेवा के अंतर्गत 70 बसों के संचालन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस योजना में मध्यप्रदेश के छह शहर ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन व सागर शामिल हैं। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 10 से 20 लाख की आबादी वाले शहरों में 100-100 ई-बस चलाई जानी हैं, लेकिन ग्वालियर की सकरी सड़कों को देखते हुए मात्र 70 बसें चलाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
बड़ा सवाल: कैसे चलाएंगे बसें, यही पहेली, सब चुप
शहर में सड़कों पर बेतरतीब ढंग से आटो-टेंपो और ई-रिक्शा की भीड़ के अलावा कुछ नहीं दिखता है, सड़कों पर अतिक्रमण से संकरी सड़कें अलग। यही कारण था कि इन समस्याओं को पिछले पांच साल में अधिकारी उखाड़ कर नहीं फेंक सके,सूत्र सेवा शुरू हुई लेकिन सड़कों पर अफसर जगह नहीं दिला सके। माननीयों से लेकर अफसरों तक कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट को धरातल पर उतारने आगे नहीं आया,नतीजन ग्वालियर टेंपो सेवा तक सीमित रह गया। इसे पहेली बना दिया गया। केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, स्थानीय मंत्री से लेकर पूरी जिला सरकार फेल हो गई। ठोस कार्ययोजना कभी बनी ही नहीं और अब नए प्रस्ताव पर भी नहीं बनी तो पहले जैसा ही हाल तय है।
ये रहेंगे संभावित रूट
- हजीरा से पड़ाव होते हुए महाराज बाड़ा।
- महाराजपुरा से महाराज बाड़ा।
- पुरानी छावनी से गोला का मंदिर होते हुए महाराजपुरा
- विक्की फैक्ट्री से महाराज बाड़ा या महाराजपुरा तक
- घाटीगांव से महाराज बाड़ा तक।
- मालनपुर से गोला का मंदिर तक।
- बानमोर से गोला का मंदिर तक।
ई-बसों का प्रस्ताव भेजा है नीरज ट्रैवल्स का ठेका निरस्त करने के साथ ही बस स्टैंड डिपो को खाली करा लिया है। अब शहर में सिटी बस सेवा के लिए हमने प्रधानमंत्री ई-बस सेवा के अतंर्गत प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेज दिया है। वहां से स्वीकृति मिलने पर डीपीआर तैयार की जाएगी।
हर्ष सिंह, आयुक्त नगर निगम