सिटीजन फीडबैक देने में उज्जैन सबसे आगे

याद रहे कि स्वच्छता में नागरिक जनभागीदारी के कारण ही पिछले वर्ष उज्जैन, देश का 17वां और 10 लाख से कम आबादी वाले मझोले शहरों की सूची में 10वां सबसे स्वच्छ शहर चुना गया था। इस बार ताकत दौगुनी लगाई है, ऐसे में कुल 9500 अंकाें की फाइनल परीक्षा में भी उज्जैन का मैरिट में आना तय माना जा रहा है।
मालूम हो कि साफ-सफाई के प्रति नागरिकों की आदतों में सुधार लाने और शहरों में स्वच्छता के बेहतरीन इंतजाम कराने को भारत सरकार वर्ष- 2016 से देश के चुनिंदा शहरों में हर वर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण स्वरूप साफ-सफाई की परीक्षा करवा रही है। उज्जैन, साल-2017 से परीक्षा में शामिल हो रहा है। इस परीक्षा की वजह से उज्जैन शहर में साफ-सफाई के इंतजाम जमीनी तौर पर काफी हद तक महसूस होने और दिखाई देने लगे हैं।
इस वर्ष भी स्वच्छता प्रतियोगिता के तय 15 मानकों पर खरा उतरने के लिए नगर निगम ने ताकत झोंकी है। कागजी तौर पर उज्जैन सभी मानकों पर खरा उतरता नजर आ रहा है। अंकों को बढ़ाने में भौतिक सत्यापन और नागरिक प्रतिक्रिया रिपोर्ट की रिपोर्ट महत्वपूर्ण मानी गई है। स्वच्छता में जनभागीदारी के कारण ही पिछले वर्ष उज्जैन देश का 17वां और 10 लाख से कम आबादी वाले मझोले शहरों की सूची में 10वां सबसे स्वच्छ शहर चुना गया था। इसके पहले वर्ष 2021 में उज्जैन, देश का 10वां सबसे स्वच्छ शहर घोषित हुआ था।
तब थ्री स्टार रेटिंग और मझौले 372 शहरों की सूची में पांचवीं रैंक पाई थीं। रैटिंग गिरने की वजह अपशिष्ट जल का पुर्नउपयोग न होना, भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन प्रोजेक्ट का अधूरापन, शिप्रा सहित सप्तसागरों की बदहाल स्थिति थी। हालांकि अब ऐसा नहीं है। इस श्रेणी में नगर निगम ने काफी काम कर दिखाया है।
स्वच्छता के नोडल अधिकारी अपर आयुक्त आदित्य नागर और उपायुक्त संजेश गुप्ता की माइक्रो प्लानिंग के कारण गंदी गलियों का सुधार हुआ। भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन प्रोजेक्ट अंतर्गत सुरासा गांव में 92.5 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पूरा कराकर उसका संचालन शुरू कराया।
शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किए। लोग उज्जैन की सफाई व्यवस्था से कितने संतुष्ट, असंतुष्ट है ये जानने को स्कूल, कालेज, बैंक, शासकीय कार्यालय, महाकाल महालोक सहित सभी धार्मिक स्थलों पर टीम को भेज नागरिक प्रतिक्रिया फार्म भरवाया। शहर के 2 लाख 50452 लोगों ने ये फार्म भरा। ये संख्या वर्ष 2011 के जनगणना आंकड़े 5 लाख 15215 के मुकाबले लगभग आधी है।
भौतिक रूप से हो रहा सर्वेक्षण
स्वच्छ सर्वेक्षण- 2023 में अव्वल आने को उज्जैन ने जो तैयारियां की है, उसका भौतिक सत्यापन इन दिनों केंद्र से भेजे दल द्वारा चरणबद्ध तरीक से किया जा रहा है। दो चरण में सर्वेक्षण कार्य हो चुका है। इस बार परीक्षा 9500 अंकों की है। नगर निगम परीक्षा से जुड़ी विषय वस्तु दस्तावेज के रूप में पहले ही सरकार को भेज चुका है। इस बार उज्जैन ने फाइव स्टार रैंक के लिए दावा किया है।
स्वच्छता के लिए इस साल ये किए ये मुख्य काम
– एक समय पर एक साथ 18 लाख 82 हजार दीप प्रज्ज्वलित करने, रंग पंचमी पर गेर निकालने का जीरो वेस्ट कार्यक्रम किया।
– विभिन्न स्थानों पर टायलेट कम कैफे और महाकाल महालोक में झोला एटीएम स्थापित किए।
– मुख्य सड़कों की सफाई मशीन से कराई जाने लगी, ताकि धुंल न उड़े।
– गटर के चैंबरों की सफाई रोबोटिक मशीन से कराई जाने लगी, ताकि जनहानी न हो।
– पर्यावरण सुधार और नागरिक सेवा बढ़ाने को 26 नए सीएनजी चलित कचरा कलेक्शन वाहन खरीदे।
– तीन स्थानों पर सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री चौपाटी का निर्माण किया।
ये उपलब्धि नागरिकों के सहयोग का प्रतिफल
महापौर मुकेश टटवाल ने कहा कि यह उपलब्धि नागरिकों के सहयोग का प्रतिफल है। जन सहयोग के बिना यह संभव नहीं था। हमें विश्वास है कि जन सहयोग से उज्जैन निरंतर सफलता प्राप्त करता रहेगा। नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह ने शहरवासियों का आभार माना है। कहा है कि नागरिकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देकर जता दिया है कि उज्जैन स्वच्छता में नंबर-1 है। इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण में ऊंची छलांग लगाने को हमारी तैयारी पक्की है। निगम सफाई के बेहतर इंतजाम करने को हर संभव प्रयास कर रहा है।