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धार्मिक

पुत्रदा एकादशी के दिन बिल्कुल न करें ये गलतियां वरना जीवन भर झेलनी पड़ेगी दरिद्रता

सावन महीने में सोमवार के साथ-साथ प्रदोष और एकादशी भी खास होती है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है। इस साल 27 अगस्त 2023, रविवार को पुत्रदा एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पुत्रदा एकादशी पर तुलसी जी की भी पूजा की जाती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों का पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत जरूर रखना चाहिए। इतना ही नहीं, इस व्रत से संतान की उम्र लंबी होती है और वह स्वस्थ रहता है। पुत्रदा एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी नियम

– पुत्रदा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल नहीं चढ़ाना चाहिए। एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को छूने या फिर पत्ते तोड़ने और जल चढ़ाने की मनाही होती है। ऐसा करने पर मां लक्ष्मी नाराज होती हैं।

– एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल चढ़ाने के लिए तुलसी के पत्ते को एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लेना चाहिए।

– पुत्रदा एकादशी के दिन पूरी साफ-सफाई रखनी चाहिए। इस दिन खास तौर पर पूजा घर और मुख्य द्वार साफ रखें। गंदगी होने पर मां लक्ष्मी घर में प्रवेश नहीं करतीं और दुख, कष्ट झेलने पड़ते हैं।

– इस दिन यदि आप व्रत कर रहे हैं, तो काले रंग के कपड़े न पहनें। विशेष तौर पर पूजा के समय काले कपड़े नहीं पहनना चाहिए। इस दिन घर पर तामसिक चीजें नहीं लानी चाहिए और ना ही उनका सेवन करें।

– पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रख रहे हैं, तो साबुन, तेल आदि का इस्तेमाल न करें। साथ ही इस दिन बाल धोना भी अच्छा नहीं माना जाता है।

– पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान के लिए रखा जाता है। इस दिन बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करें। बाल गोपाल की पूजा करके बच्चों में माखन-मिश्री का प्रसाद बांटना चाहिए।

– पुत्रदा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे के आसपास सफाई रखनी चाहिए। जूते-चप्पल, कूड़ेदान, झाड़ू आदि तुलसी के पौधे के पास न रखें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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