मानसून पूर्व 70 करोड़ रुपये से मरम्मत कराई गई सड़कों पर फिरा पानी उखड़ा पेंचवर्क

भोपाल। राजधानी में हर वर्ष मानसून से पूर्व शहर की सड़कों का निर्माण व मरम्मत का कार्य किया जाता है। लेकिन जल्दबाजी में काम करने की वजह से इन सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता। वहीं ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से सड़कों में भरा पानी इसकी नींव को कमजोर कर देता है, जिससे दो-चार दिन की वर्षा भी सड़कों में किए गए पेंचवर्क की बखिया उधेड़ देती है। इस बार भी मानसून से पहले नगर निगम व पीडब्लयूडी समेत अन्य विभागों ने उखड़ी सड़कों की मरम्मत पर 70 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की, लेकिन एक सप्ताह की वर्षा ने इस पर पानी फेर दिया।
बता दें कि शहर में नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, बीडीए, हाउसिंग बोर्ड, भेल और पुलिस हाउसिंग सोसायटी समेत अन्य एजेंसियों की करीब 4400 किलोमीटर सड़कें हैं। मानसून पूर्व इनकी मरम्मत पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन पहली बरसात ने ही इन सड़कों की हालत खराब कर दी है। नर्मदापुरम रोड पर मिसरोद से आइएसबीटी तक की सड़क का एक महीने पहले ही पेंचवर्क किया गया था। लेकिन तेज बरसात की वजह से छह किलोमीटर सड़क पर सैकड़ों गड्ढे हो गए हैं। वहीं अल्पना टाकीज चौराहे से बैरसिया रोड तक की सड़क की मरम्मत भी बरसात से पहले की गई थी। अब इसमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। कुछ यही हाल भेल, कोलार व पुराने भोपाल समेत शहर के अन्य हिस्से की सड़कों का भी है। लेकिन अब तक अधिकारियों ने मरम्मत नहीं कराई।
दो महीने में ही उखड़ने लगा पेंचवर्क
मानसून आने से पहले नगर निगम द्वारा दो दर्जन से अधिक सड़कों की मरम्मत कराई गई थी। लेकिन गुणवत्ता कमजोर होने की वजह से सड़क पहली बरसात भी नहीं झेल पाई। एक महीने में ही इसका पेंचवर्क उखड़ने लगा। भारत टाकीज चौराहा, 1100 क्वार्टर, सैफिया कालेज रोड, अयोध्या बायपास सड़क, अवधपुरी, गौतम नगर, कस्तूरबा नगर, साकेत नगर, बैरागढ़, राजीव नगर, सिंधी कालोनी चौराहा, सात नंबर स्टाप, हबीबगंज रेलवे स्टेशन, अल्पना टाकीज चौराहा, छोला और वीआइपी रोड की मरम्मत बरसात शुरु होने से पहले कराइ गई थी। लेकिन अब इन सभी सड़कों में गड्ढे हो गए हैं।
राजधानी की सड़कों पर 60 करोड़ से अधिक खर्च
जानकारी के अनुसार नगर निगम हर वर्ष सड़कों की मरम्मत और पेंचवर्क समेत अन्य कार्यो में 30 करोड़ रुपये की राशि खर्च करता है। वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा भी प्रतिवर्ष करीब 25 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। बीडीए और हाउसिंग बोर्ड समेत अन्य एजेंसियों द्वारा भी उनकी सड़कों की मरम्मत पर 10 से 12 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं।
राजधानी में इन एजेंसियों की सड़कें
एजेंसी का नाम – कुल सड़कें – कुल किलोमीटर सड़क – जर्जर सड़क
पीडब्ल्यूडी – 60 सड़कें – 650 किमी- 150 किमी खराब
हाउसिंग बोर्ड और बीडीए – 40 सड़कें – 200 किमी – 60 किमी खराब
नगर निगम – 600 सड़कें – 3500 किमी- 450 किमी खराब
इनका कहना
नगर निगम में इंजीनियर की नियुक्ति डिग्री के आधार पर की जाती है। लेकिन उसके पास पर्याप्त अनुभव नहीं होता है। नगर निगम द्वारा इन्हें सड़क से संबंधित विशेष प्रशिक्षण भी नहीं दिया जाता है। ऐसे में सड़क बनाने के लिए इंजीनियर की निर्भरता ठेकेदार पर होती है। इंजीनियर के अनुभव की कमी का फायदा उठाते हुए ठेकेदार अपने हिसाब से सड़कों का निर्माण कराते हैं।
– सुयष कुलश्रेष्ठ, आर्किटेक्ट एवं टाउन प्लानर
शहर की सड़कों का निर्माण भी इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों के आधार पर नहीं किया जाता है। अधिकांश सड़कों के किनारे जल निकासी के लिए ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। इससे बरसात का पानी सड़कों में जमा होता है और इनकी नींव कमजोर होती है।
– सिद्धार्थ रोकड़े, प्रोफेसर मैनिट
वर्षा से पहले सड़कों की मरम्मत कराई गई थी। यदि उखड़ती हैं, तो संबंधित ठेका एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इनमें अधिकतर सड़कें तो गांरटी पीरियड में हैं।
-पीके जैन, मुख्य अभियंता, यांत्रिक विभाग नगर निगम
पीडब्ल्यूडी ने वर्षा से पूर्व सड़कों की मरम्मत कराई है। अधिकतर सड़कों की हालत बेहतर है। जहां सड़कें उखड़ रही हैं, उनकी मरम्मत कराई जाएगी।
– संजय मस्के, मुख्य अभियंता, पीडब्ल्यूडी