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जुलाई में शनि-मंगल की अशुभ युति समसप्तक योग के कारण आ सकती है बड़ी मुसीबत

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के गोचर के कारण अलग-अलग युति के निर्माण से कई योग भी निर्मित होते हैं। इनमें से कई योग व्यक्ति के लिए लाभदायक व हानिकारक होते हैं। जुलाई माह में शनि और मंगल ग्रह की युति के कारण समसप्तक योग निर्मित हो रहा है। ऐसा माना जाता है कि समसप्तक योग के कारण कई अशुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

जानें क्या होता है समसप्तक योग

भारतीय ज्योतिष के मुताबिक जब कोई दो ग्रह एक-दूसरे से सातवें स्थान पर होते हैं, तब उन ग्रहों के बीच समसप्तक योग निर्मित होता है। ज्योतिष में शनि और मंगल दोनों को ही पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है और एक-दूसरे से सातवें स्थान पर होने पर ये दोनों ही ग्रह अशुभ परिणाम देते हैं।

मंगल का सिंह राशि में गोचर 1 जुलाई को

हिंदू पंचाग के मुताबिक मंगल ग्रह 01 जुलाई 2023 को रात 01:52 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करेंगे। यह राशि परिवर्तन कई राशियों के लिए कष्टदायी हो सकता है। मंगल को अग्नि का कारक माना जाता है। इसके अलावा सिंह राशि को भी अग्नि तत्व की राशि माना जाता है। सिंह राशि में मंगल देव, शनि के साथ समसप्तक योग बना रहे हैं। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक फिलहाल शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में बलवान होकर विराजमान है और 17 जून से वो वक्री भी हो गए हैं।

फैल सकता है धार्मिक उन्माद

1 जुलाई से 16 अगस्त के मध्य मंगल और राहु पर शनि की दृष्टि होने के कारण धार्मिक उन्माद फैल सकता है। इसके अलावा भारी बारिश के कारण भी तबाही देखने को मिल सकती है। समसप्तक योग के कारण पहाड़ों पर भूस्खलन और भूकंप आने की भी आशंका होती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक एक अन्य विशेष योग गुरु राहु से निर्मित हो रहा है। राहु फिलहाल गुरु को पीड़ित कर रहा है और शनि की मेष राशि पर नीच की दृष्टि है। इस कारण किसी मुद्दे पर देश की जनता सीधे प्रभावित हो सकती है। राहु धार्मिक उन्माद का कारक है, ऐसे लोगों में गलतफहमी पैदा कर सकती है। इस कारण समाज में तनाव हो सकता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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