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धार्मिक

चातुर्मास के दौरान करें ये उपाय हमेशा मिलेगा मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

 हिन्दू धर्म में चातुर्मास या चौमासा का बहुत महत्व है। ये आषाढ़ की एकादशी यानि देव शयनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक की एकादशी यानि देव उठनी एकादशी तक चलता है। हिंदी कैलंडर में आये यह चार महीने अर्ध आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन एवं अर्ध कार्तिक चातुर्मास कहलाते हैं। इन दिनों कोई शुभ कार्य नहीं होते, जैसे विवाह संबंधी कार्य, मुंडन विधि, नाम करण आदि। लेकिन इन दिनों में धार्मिक अनुष्ठान जैसे भागवत कथा, रामायण, सुंदरकांड पाठ, भजन संध्या एवं सत्य नारायण की पूजा आदि का बहुत महत्व है।

चातुर्मास की तिथि

चातुर्मास की शुरुआत देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होती है जो देवउठनी एकादशी के दिन समाप्त होती है। इस साल चातुर्मास 30 जून से शुरु हो रहा है, और ये 23 नवंबर को समाप्त होगा। वैसे तो प्रत्येक वर्ष चातुर्मास चार महीने का होता है, लेकिन इस वर्ष यह 5 महीने का होगा। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इंदौर के पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक इस दौरान कुछ विशेष उपाय करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और कभी भी सुख-संपत्ति की कमी नहीं होगी।

क्या करें उपाय?

  • चातुर्मास में दान-दक्षिणा करना बहुत लाभकारी माना गया है। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, कपड़े, चप्पल आदि चीजें दान करें। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक पर विशेष कृपा बनाए रखती हैं।
  • चातुर्मास में विधि-विधान से पूजा-पाठ करने और मंत्रों का उच्चारण करने से भी विशेष फल प्राप्त होते हैं।
  • इस अवधि में भगवान भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा करें। मान्यता है इससे ग्रह दोष दूर होता है और आर्थिक संपन्नता आती है।
  • आर्थिक परेशानी दूर करने के लिए अन्न दान के साथ-साथ गोदान भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है और सफलता के मार्ग खुलते हैं।
  • चातुर्मास के दौरान तुलसी जी की पूजा करना बहुत शुभ और लाभकारी माना जाता है। इससे जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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