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इंदौर। शिवराज सरकार के चौथी पारी के तीन वर्षों में सबसे अधिक आपराधिक घटनाओं का शिकार हुआ आदिवासी वर्ग।

इंदौर। आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए खड़े रहते पूर्व सीएम आदिवासी समाज का मसीहा बताने वाली शिवराज सरकार की हकीकत सामने आना शुरू हो गई हैं। इंदौर जिले के महू में बीते दिनों घटी आदिवासी बेटी के साथ घटना ने प्रदेश की कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है। यही नहीं जिले से सटे आदिवासी इलाके में पुलिस ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए एक आदिवासी युवक भेरूलाल को गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। दिन प्रतिदिन आदिवासी वर्ग के हो रही इस तरह की घटनाएं शर्मनाक करने वाली हैं। आदिवासी नागरिकों की इस तरह की हत्या पर सड़क से लेकर विधानसभा के सदन तक मामला उठा जिसके बाद भी शिवराज सरकार ने दोषियों पर कार्यवाही करना उचित नहीं समझा। देखा जाए तो आदिवासी समाज के लोगों के साथ हो रही इस तरह की घटनाएं पहली बार नहीं है। लटेरी कांड, शिवराज सरकार के कार्यकाल में आदिवासी समाज पर सबसे अधिक हमले हुए हैं और दोषियों पर कोई ठोस कार्यवाही भी नहीं हुई। एक तरफ देश आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। लेकिन क्या है हकीकत है? पिछले 18 सालों में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ हमले बढ़े हैं और जघन्य अपराधों में काफी बढ़ोतरी हुई है। दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा अत्याचार मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और बिहार में बढ़े हैं। बीते वर्ष संसद में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासियों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए हैं। मध्यप्रदेश में साल 2018 में आदिवासियों पर अत्याचार के 1,868 मामले दर्ज हुए थे। जो 2019 में घटकर 1,845 हो गए, लेकिन साल 2020 में एक बार फिर बढ़कर 2,401 हो गए हैं। सवाल यह है कि जब देश की करीब 24 प्रतिशत आबादी, आर्थिक उत्पीड़न के अलावा जातीय उत्पीड़न का शिकार है तो फिर इसे अमृतकाल क्यों कहा जा रहा है। क्या सरकार खुद के आंकड़ों पर गौर नहीं कर पा रही है? या सरकार सबको अंधेरे में रखना चाहती है? *पीड़ित परिवार को सांत्वना देने पहुंचे कमलनाथ* पूर्व मुख्यमंत्री और पीपीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने महू में पुलिस गोलीबारी में मारे गए आदिवासी युवक भेरूलाल के परिजनों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने पहले आदिवासी युवक को गोली मारी और फिर कुछ लाख रुपए से उनकी जान की कीमत लगा रही है। उन्होंने दोनो परिवारों को एक करोड़ रुपए की सहायता देने की मांग भी की। कमलनाथ ने कहा कि ‘मैं खुद आदिवासी इलाके से आता हूं। वहां भी और पूरे प्रदेश में भाजपा सरकार आदिवासियो पर अत्याचार कर रही है।’ इसी के साथ उन्होंने पीड़ित परिवारों को पूर्ण सुरक्षा और सहयोग का भरोसा दिलाया। महू में मृत आदिवासी युवक के परिजन ने कमलनाथ से कहा कि सरकार और प्रशासन उन पर दबाव बना रहा है। इस पर कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस इस अत्याचार के खिलाफ पूरे प्रदेश में लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा कि महू की घटना पर वे पीड़ित परिवार को न्याय दिलाकर रहेंगे। *अत्याचारों के मामले में मध्यप्रदेश देश में 5वें नंबर पर* प्रदेश में बीते तीन साल में आदिवासियों के उत्पीड़न मामले 20% बढ़े हैं। महिला अपराधों में कमी आई है. महिला अत्याचारों के मामले में मध्य प्रदेश देश में 5वें नंबर पर है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि प्रदेश में अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 2,401 केस दर्ज हुए हैं। बीते 3 साल से प्रदेश इन अपराधों में पहले पायदान पर ही है। *अलीराजपुर विधायक का आरोप* प्रदेश में आदिवासी वर्गों पर बढ़ते अत्याचार और दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर भोपाल में विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने विधानसभा सत्र में नारेबाजी करते हुए वॉकआउट किया। इस दौरान आलीराजपुर विधायक मुकेश पटेल भी मौजूद थे। पटेल ने बताया कि मप्र में विधायकों की खरीद-फरोस्त कर पिछले दरवाजे से आने वाली भाजपा सरकार के राज में आदिवासियों, दलितों एवं गरीब वर्गों पर एक के बाद एक अत्याचार, के दुष्कर्म, अन्याय की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। भाजपा के राज में प्रदेश की बहन-बेटियां भी सुरक्षित नहीं हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान आदिवासी हितैषी होने का झूठा ढोंग रचते हैं।

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