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तीनों सेनाओं के प्रमुख ठिकानों पर रडारों को किया जा रहा अपग्रेड

नई दिल्ली । सबसे एडवांस सर्विलांस टेक्नोलॉजी को चकमा देकर अमेरिका के आकाश में पहुंच गए चीन के जासूसी गुब्बारों को लेकर अब पूरी दुनिया में सतर्कता देखी जा रही है। भारत में भी अंडमान सागर के ऊपर करीब साल भर पहले ऐसे ही एक सफेद गुब्बारे को देखा गया था। करीब 3 से 4 दिन बाद ये गुब्बारा वहां से गायब हो गया था। अब सरकार ने इस तरह की किसी भी जासूसी की घटना के खतरे से निपटने के लिए सेनाओं के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया है। इसके साथ ही तीनों सेनाओं के प्रमुख ठिकानों पर रडारों को अपग्रेड किया जा रहा है।
मीडिया के अनुसार ऐसी अज्ञात हवाई वस्तुओं की जांच करने, जरूरत होने पर उनको मार गिराने और मलबे की बरामदगी जैसी कार्रवाइयों के लिए बुनियादी प्रोटोकॉल का एक सेट तैयार किया गया है। तीनों सेनाओं के लिए तैयार किए जा रहे इस प्रोटोकॉल में जरूरी सुधार लगातार किए जाते रहेंगे। गौरतलब है कि पिछले महीने अमेरिका ने एक विशाल चीनी गुब्बारे को मार गिराया। अमेरिका ने चीन पर अपने महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों की जासूसी करने का आरोप लगाया था। इस चीनी गुब्बारे को गिराने के लिए अमेरिका के एक एफ-22 लड़ाकू जेट से एआईएम-9एक्स साइडविंडर मिसाइल को दागा गया था। चीन ने अमेरिका के इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह एक सिविल गुब्बारा था, जो मौसम संबंधी पहलुओं पर रिसर्च करने के लिए था। कुछ दिनों बाद अमेरिका ने कनाडा के ऊपर एक बेलनाकार आकार की हवाई वस्तु और अपने हवाई इलाके में एक अन्य अज्ञात हवाई वस्तु को मार गिराया था, जबकि अंडमान के ऊपर दिखा गुब्बारा भारत के सैन्य अधिकारियों के किसी कार्रवाई पर फैसला लेने से पहले ही गायब हो गया था। भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा कि यहां तक कि सबसे आधुनिक मिलिट्री टेक्नोलॉजी और उपकरण रखने वाला अमेरिका भी पहले धीमी गति से चलने वाले चीनी गुब्बारों का पता लगाने में विफल रहा था. लड़ाकू विमानों या मिसाइलों के मुकाबले इस तरह की चीजें रडार पर नहीं देखी जा सकती हैं। सेटेलाइट या रडार गुब्बारों का पता नहीं लगा सकते, क्योंकि वे धीमी गति से चलते हैं। अब प्रमुख सैन्य ठिकानों पर कई रडारों को ऐसी हवाई वस्तुओं का पता लगाने के लिए अपग्रेड किया जा रहा है।

 

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