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जौरा मुरैना। देखो ये गरीबी ये ग़रीबी का हाल,कृष्ण के दर पे विश्वास लेके आया हूं… जौरा सुदामा चरित्र की कथा में भजनों पर झूमे श्रद्धालु।

जौरा। भीम के जरासंध से लगभग एक माह तक चले युद्ध में भीम ने जितनी बार उसके दो टुकड़े किए वह फिर से जुड़ जाता इस पर श्रीकृष्ण ने घास की एक डंडी की सहायता से भीम को संकेत किया की इस बार वह उसके टुकड़े कर के दोनों टुकड़े अलग-अलग दिशा में फेंके। तब भीम ने वैसा ही किया और इस प्रकार जरासंध का वध किया टाउन् हाॅल जौरा मे कथा में शनिवार को कथा व्यास शत्रुघन बालोठीया ने जरासंध वध, सुदामा चरित्र और राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा स्थल पर महिला श्रद्धालुओं ने गीत गाकर उत्सव मनाया। कृष्ण और सुदामा के जीवन का वर्णन करते हुए आचार्य कथा व्यास ने बताया कि सुदामा जी भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र थे।श्री कृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में शिक्षार्जन के समय हुई। सुदामा जी अपना व अपने परिवार पत्नी तथा बच्चे का भरण पोषण ब्राह्मण रीति के अनुसार भिक्षा मांग कर करते थे सुदामा इतने में ही संतुष्ट रहकर हरि भजन करते रहते थे। एक दिन वह अपनी पत्नी के कहने पर सहायता के लिए द्वारकाधीश श्री कृष्ण के पास गए। उनकी दशा देखकर तीनों लोकों के स्वामी के आंखों से आंसू आ गए। उन्होंने अपने मित्र सुदामा की सेवा करके उन्हें वहां से विदा कर दिया। जब सुदामा जी अपने नगर पहुंचे तो उन्होंने पाया की उनकी टूटी-फूटी झोपड़ी के स्थान पर सुन्दर महल बना हुआ है। सुदामा चरित्र की कथा के दौरान जब भजन देखो देखो ये गरीबी ये ग़रीबी का हाल,कृष्ण के दर पे विश्वास लेके आया हूं, मेरे बचपन का यार है मेरा श्याम यही सोच कर मैं आस करके आया हूं। अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो दर पे सुदामा गरीब आ गया है,भटकते भटकते ना जानें कहा से तुम्हारे महल के करीब आ गया है। आकर्षक झांकी के साथ मंचन हुआ तो पंडाल मौजूद लोग झूमकर नाचने लगे।वहीं कथा व्यास ने राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा को भी विस्तार से सुनाया। कथा समापन पर मुख्य यजमान से व्यास पीठ की आरती उतारकर प्रसाद वितरण किया। कथा श्रवण के दौरान परीक्षित राम भारोषी शर्मा जे पी शर्मा राकेश दुबे श्री कुमार पी एम, एल एन त्यागी, डा अरुण शर्मा , रविशंकर शर्मा समेत सैकड़ों की संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे।

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