खेती-किसानी के ‘हरा सोना’ के बारे में जानते हैं आप? जानें कहां होती है बुवाई

पारंपरिक फसलों की खेती में होते हुए नुकसान को देखते हुए किसान मुनाफे वाली फसलों की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं. इसी कड़ी में हाल के वर्षों में बांस की खेती का चलन किसानों के बीच बढ़ रहा है. इस पेड़ की खेती में मेहनत बहुत कम है और कमाई बहुत ज्यादा.बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन की शुरुआत भी की गई थी.
बांस की फसल करीब 40 से 60 साल तक बांस देती रहती है. सरकार की तरफ से इस फसल के लिए सब्सिडी भी दी जाती है. कागज निर्माताओं के अलावा बांस का उपयोग कार्बनिक कपड़े बनाने के लिए किया जाता है, जो कपास की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं. इनके प्रोडक्ट की मांग बाजार में लगातार बनी रहती है. फिलहाल मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, नगालैंड, त्रिपुरा, उड़ीसा, गुजरात, उत्तराखंड व महाराष्ट्र आदि राज्यों में इसकी खेती बड़े स्तर पर होती है. इन राज्यों में इस पेड़ को हरा सोना भी बोलते हैं.
कैसे कर सकते हैं खेती
बांस को बीज, कटिंग या राइज़ोम से लगाया जा सकता है. इसके बीज अत्यंत दुर्लभ और महंगे होते हैं. पौधे की कीमत बांस के पौधे की किस्म और गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है. प्रति हेक्टेयर इसके करीब 1,500 पौधे लगते जा सकते हैं. इसकी फसल करीब 3 साल में तैयार हो जाती है और इस दौरान प्रति पौधे पर लगभग 250 रुपये का खर्च आता है. 1 हेक्टेयर से आपको करीब 3-3.5 लाख रुपये की कमाई होगी. इसकी खेती में सबसे अच्छी बात ये है कि बांस की फसल 40 साल तक चलती रहती है
खेती के लिए भूमि
इसकी खेती के लिए जमीन तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती है. बस इस बात का ध्यान रखें कि मिट्टी बहुत अधिक रेतीली नहीं होनी चाहिए. आप 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा गड्ढा खोदकर इसकी रोपाई कर सकते हैं. साथ ही बांस की रोपाई के समय गोबर की खाद का प्रयोग कर सकते हैं. रोपाई के तुरंत बाद पौधे को पानी दें और एक महीने तक रोजाना पानी देते रहें. 6 महीने के बाद इसे सप्ताह के सप्ताह पानी दें.
बंपर है मुनाफा
बुवाई के 4 साल के बाद इसके पेड़ की कटाई शुरू होती है. इसकी सबसे खास बात ये है कि कटाई के बाद ये पेड़ फिर से विकास करने लगता है. विशेषज्ञों की माने तो इस पेड़ की लकड़ियों से सालाना 4 से 6 लाख रुपये तक का मुनाफा हासिल किया जा सकता है।