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काकोरी काण्ड के महानायक पं राम प्रसाद बिस्मिल के अंतिम शब्द थे अपने मित्र को लिखे पत्र में लिखा।
शहादत से एक दिन पूर्व महान शहीद रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने एक मित्र को यह पत्र लिखा - "19 तारीख को जो कुछ होगा मैं उसके लिए सहर्ष तैयार हूं। आत्मा अमर है जो मनुष्य की तरह वस्त्र धारण किया करती है।" यदि देश के हित मरना पड़े, मुझको सहस्रों बार भी। तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी।। हे ईश! भारतवर्ष में, शत बार मेरा जन्म हो। कारण सदा ही मृत्यु का, देशोपकारक कर्म हो।। मरते हैं बिस्मिल, रोशन, लाहिड़ी, अशफ़ाक़ अत्याचार से। होंगे पैदा सैंकड़ों, उनके रुधिर की धार से।। उनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देश का। तब नाश होगा सर्वदा, दु:ख शोक के लवलेश का।। सब से मेरा नमस्कार कहिए, तुम्हारा " बिस्मिल
