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मुरैना साथी डॉक्टर पर हुई एफ आई आर के विरोध में 1 दिसंबर से काम बंद हड़ताल पर चले जाएंगे डाक्टर l

मुरैना में एक घायल नाबालिग मजदूर का इलाज के दौरान हाथ से पंजा अलग करने के मामले में पुलिस ने डॉ. नीलेश कुलश्रेष्ठ के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इस बात को लेकर जिला अस्पताल के डॉक्टरों में गहरा आक्रोश है। डॉक्टर पूरी तरह से पुलिस की इस कार्रवाई के विरोध में आ गए हैं तथा काली पट्‌टी बांधकर काम कर रहे हैं। डॉक्टरों ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर जल्द से जल्द FIR वापस नहीं ली गई तो वे 1 दिसंबर से काम बंद हड़ताल पर चले जाएंगे। बता दें, कि यह सारे डॉक्टर डॉ. नीलेश कुलश्रेष्ठ के समर्थन में आ गए हैं, जिन पर एक नाबालिग किशोर का हाथ काटने का आरोप है। इनकी गलती यह है कि इन्होंने घायल का किशोर के हाथ का पंजा उसकी कलाई से अलग करने से पहले न तो उसके माता-पिता से अनुमति ली और न ही उन्हें कोई सूचना दी। इन्होंने फैक्ट्री मालिक जिसके यहां वह अवैधानिक रुप से काम कर रहा था, उनके कहने पर उसका नाबालिग का पंजा उसकी कलाई से अलग कर दिया। जब नाबालिग किशोर के माता-पिता को इस बात का पता लगा तो वे दौड़े-दौड़े जिला अस्पताल पहुंचे लेकिन तब तक उनके पुत्र का पंजा उनकी कलाई से अलग किया जा चुका था। डॉक्टर के इस कदम पर माता-पिता ने सिविल लाइन थाने में डॉक्टर नीलेश कुलश्रेष्ठ के खिलाफ अपने नाबालिग बच्चे का हाथ काटकर उसे अपंग बनाने का मामला दर्ज कर दिया गया। डॉ. नीलेश कुलश्रेष्ठ डॉ. नीलेश कुलश्रेष्ठ SP के पास पहुंचे डॉक्टर डॉ. नीलेश कुलश्रेष्ठ के समर्थन में सभी डॉक्टर एसपी आशुतोष बागरी से मिलने पहुंचे थे। सभी ने एसपी से एफआईआर वापस लेने के साथ-साथ संबंधित थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जिस पर एसपी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि FIR में से डॉक्टर कुलश्रेष्ठ का नाम अलग कर दिया जाएगा। डॉक्टरों ने एसपी को तीन दिन का समय नाम वापस लेने के लिए दिया था। लेकिन जब पुलिस ने एफआईआर में से नाम नहीं हटाया तो उन्होंने काली पट्‌टी बांधकर विरोध करना शुरु कर दिया। इसके साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि अगर जल्द से जल्द नाम वापस नहीं लिया गया तो 1 दिसंबर से वे कामबंद हड़ताल पर चले जाएंगे। इसलिए FIR में से नाम नहीं काट रही पुलिस 1-नाबालिग के माता-पिता का कहना है कि जब भी मरीज की चिकित्सा के संबंध में बड़ा फैसला लिया जाता है तो सबसे पहले उसके माता-पिता से स्पष्टीकरण ले लिया जाता है। यह स्थिति नाबालिग के संबंध में है, अगर बालिग है तो उसे स्वयं यह स्पष्टीकरण देना होता है। उसके बाद ही उसका मेजर ऑपरेशन या इलाज किया जाता है। लेकिन यहां इस मामले में इस बात को सरासर दरकिनार किया गया तथा डॉक्टर ने लापरवाही दिखाई। 2-नाबालिग के माता-पिता के अनुसार सिविल अस्पताल मुरैना में अगर कोई केस थोड़ा भी गंभीर होता है तो यहां के डॉक्टर तुरंत मरीज को ग्वालियर स्थित जयारोग्य चिकित्सालय रैफर कर देते हैं। पिछले कई सालों का रिकॉर्ड अगर खंगाला जाए तो हर गंभीर मरीज के बारे में यही पाया जाएगा, लेकिन इस मामले में डॉक्टर ने ऐसा कुछ नहीं किया और न ही नाबालिग के माता-पिता से पूछा तथा सीधे उसका पंजा उसके हाथ से अलग कर दिया। नाबालिग के माता-पिता के अनुसार इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हो न हो डॉक्टर ने फैक्ट्री संचालक की सिफारिश या दवाब में डॉक्टर ने उनके बेटे का पंजा हाथ से काटकर अलग कर दिया। 3-फैक्ट्री मालिक इस मामले को लेकर फंस गया है। वह लेबर एक्ट की उस धारा में फंस रहा है जिसमें नाबालिग से काम कराना कानून जुर्म है। जब नाबालिग का हाथ गेहूं छानने की मशीन में चला गया तथा गंभीर रुप से घायल हो गया तो उसने नाबालिग के माता-पिता को खबर नहीं की। उसे इस बात का डर था कि कहीं मामला बिगड़ न जाए। लिहाजा वह सीधा जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचा और उसने उसका पंजा उसके हाथ से अलग करवा दिया। डॉक्टर ने भी उसके कहने पर नाबालिक का पंजा उसकी कलाई से काटकर अलग कर दिया। काली पट्‌टी बांधते डॉक्टर काली पट्‌टी बांधते डॉक्टर पुलिस प्रशासन पर दवाब डाल रहे चिकित्सक नाबालिक के माता-पिता की माने तो जिला अस्पताल के चिकित्सकों को इस मामले में खेद व्यक्त करना चाहिए था, लेकिन ऐसा न करते हुए वे अब पुलिस के ऊपर दवाब FIR वापस लेने के लिए दवाब डाल रहे हैं। इस मामले में SP आशुतोष बागरी पहले ही डॉक्टरों से कह चुके हैं कि कानूनन फरियादी संबंधित डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज कर सकता है लेकिन उसके बावजूद उन्होंने डाक्टर का नाम FIR से हटाने का आश्वासन दे दिया था। वहीं दूसरी तरफ पुलिस इसलिए भी नाम नहीं हटा रही है क्योंकि FIR नाबालिग के माता-पिता ने कराई थी तथा उसमें डॉ. नीलेश कुलश्रेष्ठ द्वारा हाथ काटने का आरोप लगाया गया था। वहीं पुलिस को इस बात का भी डर सता रहा है कि FIR में से नाम काटने के बाद अगर नाबालिग के माता-पिता ने पुलिस की इस कार्यवाही को न्यायालय में चुनौती दी तो उनके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।

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