मध्यप्रदेश
मुरैना चंबल के डकैत ‘गब्बर’ का वंश 40 साल पहले ग्रामीण के दोनों हाथ, नाक काट दिऐ थे
डकैत गुड्डा गुर्जर के पकड़े जाने के बाद चंबल के दूसरे डकैतों के दहशत और आतंक की कहानियां इन दिनों चर्चा में हैं। ऐसी ही एक कहानी है डकैत छोटे सिंह के आतंक की, जिसने ग्रामीण लाखन सिंह सिकरवार के दोनों हाथ और नाक काट दिए थे। लखन उस दिन को याद करते हुए कहते हैं- मुझे वो दिन आज भी याद है। जब मैं मलपुरा गांव से सुबह के समय लौट रहा था, तभी गौरई के डकैत छोटे सिंह ने मुझे पकड़ लिया। 24 घंटे बंधक रखकर दोनों हाथ काट दिए। रातभर मैं बीहड़ में तड़पता रहा। सुबह पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया। अड़ोखर के पास टकागांव के रहने वाले लाखन सिंह सिकरवार के दोनों हाथ और नाक 1979 में डकैत छोटे सिंह (ये डकैत सूचीबद्ध नहीं था) ने काट दिएथे। दस्यु पीड़ित लखन का कहना है- उस समय मेरी उम्र महज 21 साल थी। डकैत ने मेरे साथ मारपीट की और दोनों हाथों से अपाहिज बना दिया। इसके बाद 1984 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने दस्यु पीड़ितों को 500 रुपए पेंशन के तौर पर देना शुरू किया। अब ये राशि भी शिवराज सिंह की सरकार ने दस साल पहले बंद करवा दी। पीड़ित का कहना है कि राहत राशि स्वीकृत कराने को लेकर पिछले दस साल से प्रशासनिक अफसरों के चक्कर काट चुका हूं, अब हार-थककर बैठ गया औरबकरियां चराकर गुजर-बसर कर रहा हूं। हाथ नहीं होने की वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ‘ये हाथ हमको दे दे ठाकुर’ 1975 में रिलीज हुई सुपर डुपर हिट फिल्म ‘शोले’ का यह डायलॉग हर किसी को याद होगा। अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र अभिनेता इस फिल्म में खूंखार डकैत ‘गब्बर’ की भूमिका निभाने वाले अमजद खान ‘ठाकुर बलदेव’ की भूमिका निभा रहे संजीव कुमार का अपहरण कर लेते हैं और फिर उनके दोनों हाथ काट देते हैं। दस्यु समस्या और बीहड़ों के लिए बदनाम चंबल के भिंड जिले में असल जिंदगी में भी ऐसा ही हुआ था। बस बात शोले फिल्म रिलीज होने के 4 साल बाद 1979 की है। पीड़ित की पत्नी बोली- न पेंशन, न नौकरी पीड़ित लाखन की पत्नी सुशीला देवी का कहना है कि 1984 में लाखन सिंह को तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह के सहयोग से पेंशन मिलना शुरू हुई थी। 10 साल पहले वह बंद कर दी गई। ऐसे में अब लाखन सिंह की गुजर बसर मुश्किल हो गई है। वह अपनी पेंशन फिर से चालू कराने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। पीड़ित के पास महज डेढ़ बीघा जमीन है। ऐसे में इतनी कम जमीन से उनकी गुजर बसर बेहद ही मुश्किल से हो रही है। हालात यह है कि लाखन सिंह की अब आर्थिक स्थिति खराब है। कौन था डकैत छोटे सिंह? छोटे सिंह, छुटभैय्या डकैत था। ये डकैतों की गैंग को रसद दिया करता था। डकैतों के लिए मुखबिरी करता था। ये मूलतः गौरई का रहने वाला था। ये गौरई, मलपुरा, इंदुरखी, अचलपुर समेत कई गांव में घूमता था। पुलिस ने जब इस पर शिकंजा कसना शुरू किया तो डकैत गिरोह की शरण में चला गया। बताया जाता है कि 1981 में ये डकैतों और पुलिस की एक मुठभेड़ में मारा गया था।
