दूसरे दिन देश के प्रख्यात उलेमा व शायरों ने की शिरकत, मुल्क में अमन चैन व शान्ति के लिए मांगी गई दुआ

कौशांबी: कौशांबी जिले के करारी के ऐतिहासिक गुम्बद-ए-खसरा कांफ्रेस का समापन सत्र सामाजिक कुरीतियों को ख़त्म करने एवं मुल्क की सलामती की दुवाओ के नाम रहा। मुस्लिम नौजवान कमेटी के तत्वावधान में आयोजित कान्फ्रेंस मे देश के प्रख्यात उलेमा वशायरों ने अपने कलाम पेश किये। जिसे सुनने के लिए सैकड़ों की तादात में आवाम मौजूद रही।कार्यक्रम का संचालन मौलाना शाहिद रज़ा फर्रुखाबादी ने किया। जलसे को हजरत मौलाना सय्यद आलमगीर अश़रफ साहब ने संबोधित किया उन्होंने मुस्लिम समाज को चरित्र की शुद्धता के बारे में विस्तार से बताया। इस्लाम में ईमानदारी व निष्पक्षता की दलील कोई माँगे, तो दलील मे अपना आचरण पेश करें। चरित्र को सुन्दर बनाने के लिए पैगंबर साहब के चरित्र से अनुशरण करें ताकि लोग आपका चरित्र देखकर इस्लाम की ईमानदारी व निष्पक्षता को समझने लगें।’बेहतर शिक्षा पर दिया जोर’उलेमाओ ने सामाजिक परिवेश के अनुसार बच्चो की बेहतर परवरिश के लिए शिक्षा की जरुरत पर जोर दिया। बताया गया कि बेटियों को शिक्षित कर उन्हें समाज में बराबरी का हक़ दिलाना हर माँ बाप का फर्ज होना चाहिए। जिससे बेहतर समाज का निर्माण हो सके। अपने से गरीब की मदद करना इस्लाम में जज्जत के रास्ते खोलता है। इसके सैकड़ों उदहारण धार्मिक पुस्तकों में भरे पड़े है।श्रोताओं ने खूब बजाई तालियांजल्से में नातिया दौर भी चला। जिसमें एक से बढ़कर एक कलाम पेश़ किये गए। जिसे लोग पूरी अक़ीदत के साथ सुनते रहे। सलीम रज़ा पीलीभीत ने फ़रमाया- बड़ा बुलंद है रुतबा अली के बेटों का लगा है खुल्द मे झंडा अली के बेटों का। इमरान मुकीम कलकत्तवी ने अपने कलाम- कलम के नूर से जब लफ्ज़ बावफा निकला, दिलोदिमाग के दरिया से रास्ता निकला। को पढ़ कर खूब श्रोताओं की तालियां बटोरी। अंत में शकील आरफी ने सलातो सलाम पढ़ा गया और मुल्क में शान्ति के लिए दुआ की गई।इस अवसर पर हाजी मो.इमरान प्रधानाचार्य मदरसा जामिया इमदादुल उलूम ने जलसे मे उपस्थित लोगों और जिला प्रशासन का आभार प्रकट किया। जलसे में क्षेत्रीय उलेमा बड़ी संख्या में मौजूद रहे। मौलाना अहमद हबीब साहब, मौलाना मेराज अहमद साहब, मौलाना मुमताज अहमद साहब, मुफ्ती हबीबउल्लाह साहब, मौलाना रफीउल्ला साहब आदि लोगों उपस्थिति रहे।