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मानव को सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रभु धरा पर अवतरित होते हैं साध्वी श्रेया भारती

ब्रह्मज्ञान ईश्वर की अनुभूति है ईश्वर का आगमन है – साध्वी श्रेया भारती कथा के दूसरे दिवस प्रभु श्री राम के दिव्य चरित्र का वर्णन किया गया गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 7 से 13 नवंबर तक रामलीला ग्राउन्ड, कंझावला रोड, सेक्टर-21, रोहिणी, दिल्ली में भव्य श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा व्यास साध्वी श्रेया भारती ने कथा के दूसरे दिन रामचरितमानस की महिमा के बारे में बताया। उन्होंने कहा रामचरितमानस की रचना कितने ही वर्ष पूर्व क्यों न की गई हो परन्तु धर्म की स्थापना के जिस सन्देश को वह धारण किये हुए है वह हर युग काल और देश की सीमाओं से परे है व वर्तमान युग की समस्त समस्याओं का निवारण प्रस्तुत करता है। संसार में नाना प्रकार के रोग, शोक, जन्म, मृत्यु इत्यादि में पड़े काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार में जीवन के महत्व को खो चुके मानव को सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रभु अवतीर्ण होते हैं। उपद्रव को शांत करने नित्यधाम से अनुरूप हो कार्य को सम्पादित करने हेतु जन्म लेते हैं। साध्वी श्रेया भारती ने प्रभु श्री राम के दिव्य चरित्र के बारे में बताते हुए कहा की प्रभु धर्म की स्थापना के लिए साकार रूप धारण करते हैं। और इसमें हम सभी को उनका साथ देना चाहिए। सौभाग्यशाली होती हैं वे आत्माएं जिन्हें ये सुअवसर मिलता है। साध्वी जी ने बताया कि समाज को श्री राम जी की आवश्यकता है उनके आदर्शों की आवश्यकता है जिसे आज का मानव भूल चुका है। आज का मानव अज्ञानता के वशीभूत राम चरित्र को छोड़ चलचित्रों के पीछे दौड़ रहा है आज समय है इस अज्ञानता को समाप्त कर ज्ञान का प्रसार करने की क्योंकि आज समय और समाज की पुकार ब्रह्मज्ञान है जिससे कि मानव, मानव बन पायेगा और दानवता का नाश हो सकेगा। ब्रह्मज्ञान के विषय में बताते हुये उन्होंने बताया कि ब्रह्मज्ञान ईश्वर की अनुभूति है ईश्वर का आगमन है अंतस में जब अंतःकरण में ज्ञान का प्रकाश होगा तो अंधकार स्वतः ही समाप्त हो जायेगा।।

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