Vikram-S : भारत का पहला निजी रॉकेट 12 से 16 नवंबर को किया जा सकता है लॉन्च

Vikram-S : भारत का पहला निजी रॉकेट विक्रम-S लॉन्च के लिए तैयार है। स्काईरूट एयरोस्पेस के सीईओ और सह-संस्थापक पवन कुमार चांदना ने कहा, ‘‘अधिकारियों ने प्रक्षेपण के लिए 12 नवंबर से 16 नवंबर की संभावित अवधि बताई है। रॉकेट के लॉन्च की तारीख की अंतिम पुष्टि मौसम की स्थिति के आधार पर तय की जाएगी। हैदराबाद स्थित स्पेस स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने मंगलवार को ये घोषणा की। स्काईरूट एयरोस्पेस के इस पहले मिशन का नाम ‘प्रारंभ’ है। इसे श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लॉन्चपैड से लॉन्च किया जाएगा।
स्काईरूट एयरोस्पेस के मुख्य परिचालन अधिकारी एन भरत डाका ने एक बयान में कहा, ‘‘विक्रम-एस रॉकेट एकल चरण वाला उपकक्षीय प्रक्षेपण यान है जो तीन उपभोक्ता पेलोड लेकर जाएगा और अंतरिक्ष यानों की विक्रम श्रृंखला में अनेक प्रौद्योगिकियों के परीक्षण तथा उन्हें मान्यता देने में मदद करेगा.” स्काईरूट के रॉकेट का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है.
Vikram-S : स्काईरूट एयरोस्पेस रचेगी इतिहास
इस मिशन के साथ स्काईरूट एयरोस्पेस अंतरिक्ष में एक रॉकेट लॉन्च करने वाली भारत की पहली निजी अंतरिक्ष कंपनी बनने के लिए तैयार है, जो अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगी। इसे 2020 में निजी क्षेत्र की भागीदारी की सुविधा के लिए खोला गया था। स्काईरूट एयरोस्पेस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर नागा भारत डाका ने एक बयान में कहा कि विक्रम-एस रॉकेट एक सिंगल-स्टेज सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है जो तीन ग्राहक पेलोड ले जाएगा और स्पेस लॉन्च वाहनों की विक्रम श्रृंखला में अधिकांश तकनीकों का परीक्षण और सत्यापन करने में मदद करेगा।
Vikram-S : अपने साथ तीन कॉमर्शियल पेलोड्स लेकर जा रहा
विक्रम-एस रॉकेट एक सिंगल-स्टेज सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है, जो अपने साथ तीन कॉमर्शियल पेलोड्स लेकर जा रहा है. यह एक तरह की टेस्ट फ्लाइट है. अगर इसमें कामयाबी मिलती है, तो भारत का नाम प्राइवेट स्पेस कंपनी के रॉकेट लॉन्चिंग के मामले में दुनिया अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा. हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए स्पेस लॉन्च व्हीकल बनाती है.
विक्रम-1 रॉकेट 225 KG वजन के पेलोड को 500 किमी ऊंचाई वाले SSPO या 315 KG वजन के पेलोड को 500 किमी की लोअर अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करेगा. यह रॉकेट 24 घंटे में ही बनकर तैयार हो जाएगा और लॉन्च भी किया जा सकेगा. विक्रम-2 रॉकेट 410 किलो वजन के पेलोड को 500 किमी के लोअर अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करेगा. इसके ऊपरी हिस्से में क्रायोजेनिक इंजन लगेगा. विक्रम-3 रॉकेट 580 किलो के पेलोड को 500 किमी के SSPO और 730 किलो के पेलोड को 500 किमी के लोअर अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करेगा. इन दोनों ही रॉकेटों को 72 घंटे में बनाकर लॉन्च किया जा सकेगा.