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ग्वालियर मुनि श्री के सानिध्य में 16 दिवसीय 16 मण्डलीय श्री शांतिनाथ महामंडल विधान चल रहा है
लक्ष्य को ऊंचा व सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति हमेशा सफलता की ऊचाईयां छूता है-:मुनिश्री* जैन समाज के लोगो विधान में भक्ति नृत्य के साथ महाआर्घ्य समर्पित कर रहे है। ग्वालियर-: यदि व्यक्ति में विश्वास है तो वह बड़े से बड़ा और कठिन से कठिन काम कर सकता है। वह जो भी करता है जिस तरह से भी करता है उसका चरित्र, उसका दृष्टिकोण, उसके विचार इन सब बातों में झलकता है। तभी वह एक महत्वपूर्ण आदमी बन जाता है। कोई भी व्यक्ति वैसा ही होता है जैसे उसकी सोच या विचार होते हैं। लक्ष्य को ऊंचा व सकारात्मक सोच रखने वाला हमेशा सफलता की ऊचाईयां छूता है। इसलिए बड़ी बातों में विश्वास कीजिए। अपनी सफलता के अभियान की शुरूआत इस सच्चे संजीदा विश्वास से कीजिए।यह बात श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने साधनामय बर्षयोग समिति एवं मुख्य संयोजक मनोज जैन, जैन कालेज के संयुक्त तत्वावधान में आज गुरुवार को सोलह दिवसीय शांतिनाथ महामंडल विधान में माधवगंज स्थित चातुर्मास स्थल अशियाना भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा कि जज्बा, जोश और जुनून में वो शक्ति है जिसके दम पर पहाड़ हिलाने जैसे काम भी कर सकते हैं। सफलता के बारे में सोचने पर आपका दिमाग ऐसी योजना बना लेता है जिससे अंततः विजयश्री हासिल होती है। आपकी सफलता का आकार कितना बड़ा होगा यह आपके विश्वास के आकार से तय कीजिए। जब हमारे मन में लक्ष्य के प्रति सकारात्मक नजरिया, लगन और आत्मविश्वास होता है तो विजय के मार्ग में कोई बाधा नहीं आती। सकारात्मक सोच के साथ अपनी शारीरिक, मानसिक और आर्थिक क्षमताओं का आंकलन अवश्य कीजिए। मुनिश्री के चरणों का पदाप्रच्छालन व शास्त्रभेट जैन समाज के समाजजनो ने सामूहिक रूप से किया। *शांतिनाथ विधान में जिनेंद्र भगवान का अभिषेक के साथ पूजा में बही भगवान की भक्ति* जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनिश्री विनय सागर जी महाराज के सानिध्य में 16 दिवसीय श्री 1008 शांतिनाथ महामंडल विधान का आयोजन रोग, शोक, भय, पीड़ा,आदिव्याधि व विश्व में सुख शांति और समृद्धि के लिए श्री विधान के विद्वान ज्योतिषाचार्य हुकुमचंद जैन ने मंत्रो के साथ श्रावकों ने भगवान जिनेंद्र का अभिषेक किया। वही भगवान की शांतिधारा की गई। उसके पश्चात शांतिनाथ मंडल विधान में श्रद्धालुओं ने भगवान जिनेंद्र के चरणों मे श्रीफल, चावल, बादाम, लोंग सहित अष्ट द्रव्य से पूजन अर्चना कर महाअर्घ्य मढ़ने पर चढ़ाये। श्रद्धालुओं ने श्रीजी की दीपकों से माह आरती कर पुण्य अर्जन किया। *भक्तामर में 48 मंत्रो के काव्या के साथ 48 दीपकों प्रज्वलित कर समर्पित किए* जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया जी जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का गुड़गान भक्तामर पाठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने 48 मंत्रो के काव्या के साथ 48 दीपकों प्रज्वलित कर समाज के महिलाएं, पुरुष व बच्चे संगीतमय नृत्य करते हुए एक एक दीपक भक्तामर मढने पर समर्पित करते हुये भगवान आदिनाथ की महिमा का गुड़गान कर रहे है। भक्तामर पाठ में उपरांत भगवान आदिनाथ की महाआरती भी की गई।
