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शाम को भक्तामर पाठ में 48 दीपों से भगवानऋषभदेव की हुई आरधान।
शवन में धन- दौलत के लिए हाय- हाय नहीं करो, जो है उसमें तृप्त रहो-:मुनिश्री विनय सागर* मुनिश्री के सानिध्य में 16 मण्डलीय श्री शांतिनाथ महामंडल विधान में लोगो ने कर रहे है महाअर्घ्य समर्पित। ग्वालियर-:संसार में जन्म- मरण का सिलसिला तोड़ना है तो सत्य का दर्शन करना आवश्यक है। इस मनुष्य भव में जो अपने निज सत्य को नहीं जानता वह मंदबुद्धि है। जीवन में धन- दौलत के लिए हाय- हाय नहीं करो, जो है उसमें तृप्त रहो। जो पा लिया वह पर्याप्त है क्यों दूसरों की ओर ताकते हो। क्यों दूसरों को देखकर दु:खी होते हो उसके पास है मेरे पास नहीं है। यही सोच दुख का सबसे बड़ा कारण है। इसी में वह पूरा जीवन हाय- हाय में निकाल देता है। जब मौत आती है तो खाली हाथ ही संसार से चला जाता है। इसलिए जीवन में वो जोड़ों जो मरने के बाद भी साथ जा सके। यह बात श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने साधनामय बर्षयोग समिति एवं मुख्य संयोजक मनोज जैन, जैन कालेज के संयुक्त तत्वावधान में आज बुधवार को सोलह दिवसीय शांतिनाथ महामंडल विधान में माधवगंज स्थित चातुर्मास स्थल अशियाना भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा कि जीवन में कोई किसी को परेशान नहीं करता है। खुद के जाल में उलझकर ही मानव दु:खी होता है। यह चिंतन संसार में भटकाने वाला है। जब तक आयु उम्र है तब तक इस शरीर में जान है। जिस समय आयु पूरी हो जाती है तुम्हारी सब इच्छाएं रखी रह जाती है और मौत आ जाती है। मुनिश्री को शास्त्र भेंट एवं पदाप्रच्छालन सोहनलाल जैन शंकुलत जैन मनोज जैन (चेयरमैन जैन कॉलेज) ने किए। विधान में डॉ वीणा जैन, जितेंद्र जैन, अजय जैन, वीरेंद्र जैन, शैलू जैन मौजूद थे। *कलशों से भगवान जिनेंद्र किया अभिषेक, विधान में प्रभु की आरधान कर चढ़ाये महाअर्घ्य* जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्री शांतिनाथ महा मंडल विधान में श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने मंत्र का उच्चारण कर इंद्रो ने कलशों से भगवान जिनेंद्र का जल से अभिषेक जयघोष के साथ किया। मुनिश्री ने अपने मुख्यबिंद से मंत्रो का उच्चारण कर शांतिधारा श्रीमती सरोज बोहरा परिवार ने की। श्री शांतिनाथ महामंडल विधान के ज्योतिषचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने मंत्रों के उच्चारण के साथ जैन समाज के समाजजनों ने अष्ट्रद्रव्य से पूजन कर भजन भक्तिमय स्वरों के साथ भगवान जिनेंद्र के समक्ष शांतिनाथ मढ़ने पर श्राद्ध भक्ति से साथ समर्पित करें। *शाम को भक्तामर में 48 दीपों से ऋषभदेव की हुई महाआराधना* जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया की श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज मंगल के सानिध्य में ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने 48 मंत्रो के साथ 48 दीपकों प्रज्वलित कर समाजजनो ने एक एक कर भक्तामर मढने पर समर्पित कर पाठ करते हुये भगवान आदिनाथ की आराधन कि गई।
