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डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर लोगों से ठगी, विदेश में बैठकर भारतीय नंबरों से आ रहे कॉल, ऐसे करें शिकायत।
दिल्ली , आजकल ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है। कॉल करने वाला शख्स खुद को पुलिस या सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों का अधिकारी बता कर ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का दावा करता है और मोटी रकम ऐंठता है। इस तरह के मामलों को अंजाम देने के लिए फर्जी विदेशी कॉल या इंटरनेट आधारित आईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें भारतीय नंबर प्रदर्शित होते हैं। इससे आम लोग आसानी से जालसाजों का शिकार बन जाते हैं। जांच एजेंसियों ने अब तक 1500 से अधिक सक्रिय स्काइप आईडी और नंबरों की पहचान की है। इन्हें प्रतिबंधित सूची में डाला जाएगा कई एजेंसियां मिलकर काम कर रहीं बताया जा रहा है कि भारत के बाहर से आने वाली फर्जी फोन कॉल को रोकने के लिए इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा है। जांच में यह पता लगा है कि साइबर अपराधी कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (सीएलआई) में हेरफेर करके इस तरह की कॉल कर रहे हैं। सीएलआई एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को की जाने वाली कॉल को उसके मूल नंबर से पहचाना जा सकता है। कुछ मामलों में उस नंबर से जुड़े व्यक्ति या संगठन को भी पहचाना जा सकता है जालसाज तकनीक का इस्तेमाल कर इसमें बदलाव कर देते हैं, ताकि कॉल प्राप्त करने वाले व्यक्ति को लगे कि फोन भारत के किसी हिस्से से ही किया गया है। इसके अलावा इंटरनेट आधारित फोन आईडी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। दूरसंचार विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार भारतीय लैंडलाइन नंबरों के साथ आने वाली अंतरराष्ट्रीय जाली कॉलों को दूरसंचार कंपनियों द्वारा पहले से ही ब्लॉक किया जा रहा है मामले से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि पीड़ित को एक भारतीय नंबर से सामान्य कॉल की जाती है। जालसाज कॉल स्पूफिंग का इस्तेमाल कर खुद को सीबीआई, आरबीआई, एनआईए या बैंक कर्मचारी बताकर कॉल करते हैं। ये अपराधी पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों पर आधारित स्टूडियो का इस्तेमाल करते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं। वे पीड़ित को फोन करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनके नाम से पार्सल आया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट जैसा सामान है। यह भी बताते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। साइबर जालसाज पीड़ित पर मुकदमा होने और फिर समझौता करने के लिए पैसे मांगते हैं। जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक वे स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जारी रखते हैं। पीड़ित को बताया जाता है कि उसकी डिजिटल गिरफ्तारी हुई है पीड़ित से रकम ऐंठने के लिए अंतरराष्ट्रीय फंड ट्रांसफर, सोना, क्रिप्टोकरेंसी और एटीएम निकासी जैसे माध्यम का इस्तेमाल किया जाता है। जांच एजेंसियों का कहना है कि यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है। इसे विदेश में बैठे आपराधिक गिरोह चला रहे हैं सरकार उठा रही कदम सरकार ऐसे धोखेबाजों के सिम कार्ड, मोबाइल और मूल खातों को बंद कर रही है। पिछले हफ्ते टेलीकॉम कंपनियों को 60 दिनों के भीतर 6.8 लाख मोबाइल नंबरों का तत्काल पुन: सत्यापन करने का निर्देश जारी किया था। इन नंबरों को अवैध, गैर-मौजूद या नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके प्राप्त किए जाने का संदेह है चक्षु पोर्टल पर कर सकते हैं शिकायत दूरसंचार विभाग ने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए नागरिक केंद्रित संचार साथी पोर्टल सहित कई पहल पहले ही आरंभ कर दी हैं। विभाग ने लोगों से चक्षु पोर्टल पर धोखाधड़ी वाले फोन नंबर, व्हाट्सएप पहचान या यूआरएल की रिपोर्ट करने का आग्रह किया। अगर कोई साइबर ठग फोन पर झांसा दे रहा है या संदेहजनक कॉल अथवा संदेश मिलता है तो उसकी शिकायत चक्षु मंच पर करनी होगी। रिपोर्ट करते ही पुलिस और बैंक जैसी एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी और कुछ घंटों में कार्रवाई की जा सकती है शिकायत करते ही पुलिस, बैंक और अन्य जांच एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी और कुछ घंटों में कार्रवाई की जा सकती है। चक्षु पोर्टल पर जानकारी देने पर उसकी पूरी पड़ताल की जाएगी और उस नंबर को ब्लाक किया जाएगा
